Rana Lincoln Das ने कैसे अपने दादा के बातों को ध्यान में रख चुनौतियों का सामना किया

Rana Lincoln Das ( राणा लिंकन दास ) इनके बारे में कुछ कम लोग जानते होंगे, तो चलिए आज इस लेख द्वारा हम आपको उनके और उनके दादा के रिश्ते के बारे में बताते है। हमारे जीवन में ऐसे कई व्यक्ति होते है, जिनसे हम प्रेरित होते है। और वह हमारे लिए प्रेरणास्थान बनते है। और हर मोड़ पर हमे उनके कहे कही शब्द हमें जीवन में सफलता देने में कामयाब होते है। यदि आपके मन में आत्मविश्वास हो, तो इस चीज को पाने के लिए सिर्फ आगे बढ़ते जाओ। पीछे मुड़कर कभी न देखिए। कई बार हमारे दादा, परदादा हमारे प्रेरणास्थान बनते है, और उनकी बाते हमारे आत्मविश्वास को और बढ़ाते है। ऐसे ही कुछ कहानी है, राणा लिंकन दास इनकी।


राणा लिंकन दास इनका जन्म 5 अक्टूबर को पश्चिम बंगाल में हुआ। उनकी पूरी शिक्षा उन्होंहे भारत में ही पूरी की। और उसके बाद एक स्कूली छात्र के रूप में उनके राज्य के लिए 14 क्रिकेट टीम के तहत उन्हें चुना गया था। परंतु दुर्भाग्य से केवल कुछ खेलों के बाद उन्हें एक चोट लग गई जिसने इस करियर को अपने ट्रैक पर रोक दिया। और जब उनके नाना गोवा में रहने के लिए वापस आए तो वे अपने दादा की कम्पनी, एक प्रशिक्षण और मनोचिकिस्ता कम्पनी में शामिल हो गए।


अपनी मेहनत से उन्हें कम समय में ही सर्वोच्च पद पर पदोन्नत किया गया। राणा ने प्रशिक्षण कम्पनी में पास आए कई प्रसिद्ध फिल्म और अन्य वीआईपी ग्राहकों के साथ बहुत अच्छा काम किया। और अब राणा के फिल्मी दुनिया की बात करे तो उन्होंने अपनी फिल्मी और अभिनय की शुरुआत बॉलीवुड की एक जानी मानी कम्पनी द्वारा को गई। उनके मॉडलिंग और एक्टिंग की चर्चा पूरे भारत में है, और साथ ही भारत में उनकी काफी डिमांड है। सोशल मीडिया पर भी उनके कई फॉलोअर्स है, और उन्हें अक्सर बड़े समारोहों में मुख्य अतिथि के रूप में बुलाया जाता हैं।


और अब बात करते है, उनके और उनके दादा जी के संबंध की। राणा लिंकन दास ने अपनी प्रतिभा और बुद्धिमता के साथ एक लम्बा सफर तय किया है और उनके जीवन के हर मोड़ पर उन्होंने चुनौतियां को स्वीकार किया है। हालाकि, कुछ समय पहले उनके दादा डॉ. डेविड लिंकन ( David Lincoln ) की मृत्यु हो गई। डॉ. डेविड लिंकन बहुत ही सज्जन व्यक्ति थे और उन्होंने हमेशा उन्हें जीवन में सकारात्मक रहना सिखाया, साथ ही सभी का सम्मान करना और पैसे के पीछे नहीं भागना सिखाया। इसी बात को सुनते हुए राणा दास आज अच्छे मुकाम पर है।


राणा के दादा ने उन्हें हमेशा यह ही कहा के कुछ भी हो पर ईमानदारी से रहो और यह बात राणा के लिए नियम बन चुकी थी। और उसके बाद राणा को महसूस होने लगा के, आसानी से लोगों पर भरोसा ना करना ही अच्छा है, क्योंकि उन्होंने अपने कई लोगों, दोस्तों और परिवार के कुछ सदस्यों द्वारा भी धोखा खाया है। राणा दास के परिवार के सदस्य थे अच्छे पर एक बाद उनका काम हो जाने के बाद उन्होने राणा से कभी संपर्क नहीं किया। और जब राणा को उनके दादा के निधन के बाद परिवार को जरूरत थी, तब भी परिवार के सदस्यों ने उन्हे बुरी तरह से धोखा दिया था। बात और आगे बढ़ाती गई। राणा के कुछ परिवार के सदस्य ने उन्हे इन सभी घटनाओं के लिए दोषी ठहराया और उसे एक ब्लैकमेलर, झूठा और अन्य नामों से पुकारा। जिसके बारे में राणा शांत ही बैठना ठीक समझते हैं।


राणा दस को यह नही अच्छा लगता है कि, अपने बड़ों को बदनाम करना। क्योंकि हमारी भारतीय संस्कृति हमे बड़ों का सम्मान करना सिखाती है, ऐसा उन्होंने कहा। 2013 के बाद राणा को और उनके दादा को भी उनके सदस्यों ने नही देखा, साथ ही वायक्तिगत रूप से कोई संदेश या ईमेल भी नही भेजा। राणा को खुद पर विश्वास था कि वह अपने दम पर पैसा कमा सकते है, क्योंकि वह युवा थे और उनके हाथ कई प्रोजेक्ट्स थे। और साथ ही उन्होने अपने दादाजी के व्यवसाय को शुरू रखा।


और इसके बाद राणा ने मन में ही थाम ली की वे भविष्य में कभी उनके स्वार्थी सदस्यों से संपर्क नहीं करेंगे और वह अपनी जीवन में ही खुश रहना पसंद कर रहे है। और राणा को दिल से यह लगता है की सच्चा प्यार, अपने दादा से स्नेह उन्हें विरासत को जारी रखने और उन्हें गर्व महसूस कराने मदद करेगा। राणा का यह भी मानना है, की उनके दादा उनके है मोड़ पर उनके साथ खड़े है। उनकी परछाई हर रास्ते पर उसका मार्गदर्शन करने और उसे सभी बाधाओं के माध्यम से ले जाने के लिए उसके साथ है।


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