3 और 4 जून को ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा रहेगी। पंचांग भेद की वजह से इस बार दो दिन ज्येष्ठ पूर्णिमा (Jyeshtha Purnima) मनाई जाएगी। इस तिथि का महत्व भी उत्सव की तरह ही है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने और दान-पुण्य करने की परंपरा है। ज्येष्ठ पूर्णिमा पर किए गए दान-पुण्य और नदी स्नान से अक्षय पुण्य मिलता है, भक्तों की मनोकामनाएं जल्दी पूरी हो सकती हैं। पूर्णिमा पर भगवान सत्यनारायण की कथा पढ़ने-सुनने की भी परंपरा है। हिन्दी पंचांग के एक साल में 12 पूर्णिमा होती हैं, लेकिन जिस साल में अधिकमास रहता है, तब साल में कुल 13 पूर्णिमा हो जाती हैं।
इस बार सावन महीने का अधिकमास रहेगा, इस कारण साल में 13 पूर्णिमा रहेंगी। शनिवार यानी 3 जून को सूर्योदय के समय चतुर्दशी तिथि रहेगी। इसके बाद सुबह तकरीबन 11:17 पर पूर्णिमा तिथि शुरू हो जाएगी और दिनभर रहेगी। इस कारण इस दिन भगवान विष्णु की विशेष पूजा और व्रत किया जाएगा। दोपहर में पितरों के लिए भी विशेष पूजा की जाएगी। इस दिन शंख में दूध भरकर भगवान कृष्ण का अभिषेक करने से जाने-अनजाने में हुए पाप खत्म हो जाते हैं। शाम को तुलसी के पास दीपक लगाने से सौभाग्य और समृद्धि बढ़ने की मान्यता है।
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4 जून को स्नान-दान की पूर्णिमा
4 जून को सूर्योदय के वक्त पूर्णिमा तिथि रहेगी। इस काराण इसी दिन स्नान-दान की ज्येष्ठ पूर्णिमा मनेगी। पुराणों के मुताबिक इस तिथि पर तीर्थ स्नान करने का विधान है। ऐसा न कर पाएं तो घर पर ही पानी में गंगाजल मिलाकर नहाने से तीर्थ स्नान का पुण्य मिल जाता है। इस दिन जरुरतमंद लोगों को खाना और कपड़ों का दान देने से कई गुना पुण्य मिलता है। इस दिन सुबह जल्दी पीपल के पेड़ में दूध और पानी मिलाकर चढ़ाने से पितर संतुष्ट होते हैं।
पानी में गंगाजल मिलाकर करें स्नान
पूर्णिमा पर गंगा, यमुना, अलकनंदा, नर्मदा, शिप्रा जैसी पवित्र नदियों में स्नान करना चाहिए। इस परंपरा की वजह से पूर्णिमा पर सभी पवित्र नदियों में स्नान के लिए काफी लोग पहुंचते हैं। जो लोग नदी में स्नान करने नहीं जा पा रहे हैं, उन्हें घर पर ही पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करना चाहिए। स्नान करते समय नदियों का और तीर्थों का ध्यान करना चाहिए।
धन, कपड़े, अनाज का करें दान
स्नान के बाद नदी के किनारे पर जरूरतमंद लोगों को धन, कपड़े, अनाज, जूते-चप्पल का दान करना चाहिए। नदी किनारे दान नहीं कर पा रहे हैं तो घर के आसपास ही दान-पुण्य कर सकते हैं।
दक्षिणावर्ती शंख से करें अभिषेक
भगवान विष्णु और महालक्ष्मी का अभिषेक दक्षिणावर्ती शंख से करें। दूध में केसर मिलाएं और फिर भगवान का अभिषेक करें। दूध के बाद जल से अभिषेक करें। इसके बाद पीले चमकीले वस्त्र अर्पित करें। फूलों से श्रृंगार करें। मिठाई का भोग लगाएं। धूप-दीप जलाएं और ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जप करते हुए आरती करें। पूजा के बाद प्रसाद बांटें और खुद भी लें।
कृष्ण को लगाएँ माखन-मिश्री का भोग
बाल गोपाल का अभिषेक करें और नए वस्त्र अर्पित करें। फूलों से श्रृंगार करें। कृं कृष्णाय नम: मंत्र का जप करें। माखन-मिश्री का भोग लगाएं। धूप-जलाएं। आरती करें।
सुंदरकांड का पाठ करें
हनुमान जी के सामने दीपक जलाएं और हनुमान चालीसा का पाठ करें। अगर समय अभाव न हो तो सुंदरकांड का पाठ करें। हरी घास का करें दान किसी गोशाला में हरी घास का दान करें। गायों की देखभाल के लिए धन का दान करें। किसी मंदिर पूजन सामग्री का दान करें।
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