कानपुर में जुमे की नमाज के बाद हुई हिंसा (Kanpur Violence) मामले की जांच कर रही एसआईटी की पूछताछ में मौलाना मोहम्मद अली जौहर फैन्स एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष हयात जफर हाशमी (Hayat Zafar Hashmi) ने कई अहम जानकारियां दी थी, जिसके आधार पर एसआइटी अपनी कार्रवाई कर रही है। पूछताछ में पता चला है कि हिंसा में फंडिंग का आरोपी बिल्डर हाजी वसी (Builder Haji Wasi) साल 2005 में उमरा करने गया था। उसस पहले तक वह कुछ नहीं था। उमरा के बाद उसके पास खाड़ी देशों से हवाला के जरिए पैसा आना शुरू हो गया।
इसकी जांच कराई जाए तो जानकारी मिल सकती है। आज वह बहुत बड़ा आदमी है, इसके पीछे बड़ा कारण भी है। वसी अपनी प्रत्येक बिल्डिंग में मुसल्ला बनवाता है। ऐसा करके वह यह दिखाता है कि वह मुस्लिम धर्म के प्रचार प्रसार के लिए अच्छा काम कर रहा है। इसी के आधार पर उसे बाहर से पैसा मिलता है।
दरअसल, नई सड़क पर 3 जून को हुए उपद्रव मामले में एसआईटी ने हयात जफर हाशमी को गिरफ्तार किया था। पूछताछ में उसने घटना की साजिश से जुड़ी कई अहम जानकारियां दी हैं। हयात ने बताया कि ऐसा पहली बाहर नहीं था कि जब चंद्रेश्वर हाता खाली कराने की साजिश रची गई। इससे पहले भी दंगे की आड़ में कई हाते खाली कराए गए हैं। पूर्व में हुए दंगे में लकड़मंडी में श्रीवास्तव लोगों का इलाका भी इसी तरह से खाली कराया गया था।
हयात जफर हाशमी ने बताया कि दंगे के बाद कुछ लोग डर के भाग गए तो कुछ लोगों को डरा धमकाकर डीटू गैंग की मदद से अपनी जगह छोड़ने पर मजबूर कर दिया गया। उसने बताया कि बिल्डर हाजी वसी आज इतना बड़ा आदमी हो गया है कि इसे किसी गैर कानूनी कार्य में शामिल होने की जरूरत नहीं बावजूद इसके हाजी कुद्दूस, मुख्तार बाबा व हाजी वसी अपराधियों को संरक्षण देते हुए पैसा प्राप्त करते हैं। प्रशासन में अच्छी पकड़ के चलते उनके खिलाफ कार्रवाई भी नहीं होती है।
बता दें कि मुसल्ला उस स्थान को कहते हैं जिसे नमाज पढ़ने के लिए ही बनाया गया हो। यहां एक अथवा कई लोग मिलकर नमाज अदा कर सकते हैं। मुसल्ला अस्थायी होता है। इसे भविष्य में हटाया भी जा सकता है।
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