भारतीय रिजर्व बैंक और केंद्र सरकार के बीच पिछले एक हफ्ते से तनाव की स्थिति बनी हुई है. बुधवार को कई मीडिया रिपोर्ट्स में ये भी दावा किया गया है कि सरकार आरबीआई एक्ट का सेक्शन 7 लागू करने वाली है. RBI एक स्वायत्त संस्था है और अपने सभी फैसले खुद करती है लेकिन कुछ खास परिस्थितियों में केंद्र सरकार को विशेष अधिकार सेक्शन 7 के तहत मिले हुए हैं. आइये जानते हैं क्या है सेक्शन 7 और सरकार को क्यों इसकी जरुरत हुई?
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क्या है Section 7?
RBI के सेक्शन 7 के अनुसार,
- केंद्र सरकार समय-समय पर RBI के गवर्नर से विचार-विमर्श करके जनता के हितों को ध्यान में रखते हुए निर्देश जारी कर सकती है.
- सेक्शन 7 के इस्तेमाल से RBI के सामान्य देख-रेख और मामलों का संचालन सेंट्रल बोर्ड के डायरेक्टर्स को सौंप सकती है. इनके पास वे सभी अधिकार होते हैं जो RBI अपने व्यवहार में लाती है और ये इन सभी अधिकारों का इस्तेमाल कर सकते हैं.
- इन सभी के अलावे किसी भी टकराव से बचने को लेकर गवर्नर और उनके एब्सेंसी में उनके द्वारा नियुक्त किए गए डिप्टी गवर्नर द्वारा बनाए गए रेगुलेशंस के तहत सेन्ट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स के पास बैंक के सामान्य मामले और कामकाज की पॉवर होगी और वह इन पावर्स का इस्तेमाल कर सकता है जो अधिकार बैंक के पास है.
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ये है सरकार की चिंता
मौजूदा वक्त में सरकार की प्रमुख चिंता नॉन-बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनियों (NBFCs) में लिक्विडिटी, कमजोर बैंकों में कैपिटल की कमी, पावर सेक्टर में बैड लोन के साथ एमएसएमई सेक्टर को लेकर है. इस मामले पर सरकार ने RBI से इन सभी सेक्टर को कर्ज देने का निर्देशन दिया था, जिसके बाद से विवाद बढ़ा है. हाल ही में RBI के डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य ने RBI की स्वायत्तता को लेकर सरकार पर हमला किया था.
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ये है सरकार और RBI के बीच मतभेद
कुछ मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार चाहती है कि पावर सेक्टर में फंसे कर्ज को NPA घोषित करने में रियायत बरती जाए, लेकिन RBI का मानना है कि NPA सबके लिए बराबर है. वहीं, सरकार चाहती है कि RBI के रिजर्व का इस्तेमाल बैंकों के रीकैपिटलाइजेशन के लिए किया जाए लेकिन RBI की दलील है कि रिजर्व का उपयोग नहीं किया जा सकता है.
सरकार यह भी चाहती है कि प्रॉम्प्ट करेक्टिव एक्शन (PAC) के तहत गए बैंकों को नए लोन देने की छूट दी जाए जबकि RBI का कहना है कि पीएसी में केवल AAA रेटिंग वाली कंपनियों को कर्ज देने की इजाजत होगी. RBI का कहना है कि अगर पीएसी के तहत गए बैंकों को नए कर्ज देने की छूट दी जाती है तो NPA और बढ़ने का डर है.
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