केरल के कुट्टनाड स्थित कोच्चि यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग परिसर में ‘सरस्वती पूजा’ का आयोजन करने की अनुमति देने से इंकार कर दिया गया है. यूनिवर्सिटी का कहना है कि हमारा कैंपस धर्मनिरपेक्ष है और हम अपने परिसर में ऐसी किसी भी धार्मिक गतिविधियों की इजाजत नहीं दी जा सकती है. ज्वाइंट रजिस्ट्रार का कहना है कि विश्वविद्यालय किसी खास धर्म के कार्यक्रम का आयोजन करने की अनुमति नहीं दे सकता.
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पिछले साल परोसा गया था बीफ
गौरतलब है कि, क्यूसैट से मान्यता प्राप्त यह कॉलेज पिछले साल 25 जनवरी को छात्रों के दो गुटों में हिंसक झड़क के बाद अनिश्चित काल के लिए बंद रहा था. ऐसा आरोप था कि एक कार्यक्रम के दौरान कैंपस में बीफ कटलेट्स बांटे गए थे. छात्रों के एक समूह जिनमें ज्यादातर उत्तर भारत के थे, उन्होंने ये आरोप लगाया कि उन्होंने अपने आपको वेजिटेरियन बताया था उसके बावजूद 25 जनवरी को अलप्पुजा के पास कॉलेज कैम्पस में सेमिनार से इतर उन्हें बीफ खाने के लिए दिया गया था. छात्रों ने यह आरोप लगाया था कि बीफ की घटना विरोध के बावजूद 22 जनवरी को कैम्पस में सरस्वती पूजा के आयोजन चलते बदले के तौर पर थी.
बसंत पंचमी के दिन ‘सरस्वती पूजा’ का त्योहार मनाया जाता है. बसंत पंचमी 9 फरवरी को है जिस दिन मां सरस्वती की पूजा का विशेष महत्व होता है. मां सरस्वती का दिन होने के कारण इस दिन पढ़ाई-लिखाई की शुरुआत की जाती है. छोटे बच्चों को इस दिन अक्षरों से परिचय कराया जाता है और माना जाता है कि इससे वे अकादमिक में अच्छे होते हैं. किसी दूसरे काम के लिए भी इस दिन शुरुआत करने को शुभ मानते हैं. इस त्योहार पर पीले रंग का महत्व बताया गया है क्योंकि बसंत का पीला रंग समृद्धि, ऊर्जा, प्रकाश और आशावाद का प्रतीक है. इसलिए इस दिन पीले रंग के कपड़े पहनते और व्यंजन बनाते हैं.
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