ताजा आकड़ों के अनुसार, देश में शराब की बिक्री पिछले साल दोहरे अंकों में बढ़ी है. आकड़ों की माने तो यह 2012 के बाद सबसे तेज ग्रोथ है. इससे पहले साल 2018 से पहले लगातार दो साल देश में शराब की बिक्री में गिरावट आई थी. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार यह आकड़ें हाइवे के आसपास बिक्री पर लगी पाबंदी का असर घटने और कुछ राज्यों में डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम में बदलाव के कारण सामने आएं हैं. इंडस्ट्री एग्जिक्यूटिव्स ने एक्साइज डिपार्टमेंट से बताया गया कि, विस्की, ब्रैंडी, रम और वॉदका सहित सभी अहम सेगमेंट्स में डिमांड बढ़ने से पिछले साल इंडियन मेड फॉरेन लिकर (IMFL) का सेल्स वॉल्यूम 10% बढ़कर 35.90 करोड़ केस (डिब्बे) हो गया.
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देश में शराब की कुल बिक्री में लगभग 20% का योगदान करने वाले केरल, बिहार और तमिलनाडु में 2016 के बाद कई तरह की पाबंदियां लगीं. दिल्ली, राजस्थान, केरल और तमिलनाडु की तर्ज पर पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़ और झारखंड में हुए पॉलिसी चेंज के चलते सिर्फ सरकारी कॉरपोरेशंस के जरिए शराब की बिक्री की इजाजत दी गई. इन सबसे कारोबार को लेकर अनिश्चितता बढ़ी थी.
कंपनियों ने बताया कि लिकर मार्केट की ग्रोथ को प्रीमियम प्रॉडक्ट्स से बढ़ावा मिला है. डीलक्स और उससे बेहतर क्वॉलिटी के सेगमेंट में सेल्स ग्रोथ 19% रही है. इसके मुकाबले रेग्युलर और कम गुणवत्ता वाली शराब की सेल्स 4% बढ़ी है। यूनाइटेड स्पिरिट्स, पेर्नो रिकार्ड को 65% से ज्यादा सेल्स सेमी-प्रीमियम और अच्छी क्वॉलिटी वाले सेगमेंट से हासिल होती है.
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सुप्रीम कोर्ट ने लगाई थी रोक
गौरतलब है कि, सुप्रीम कोर्ट ने 2017 में स्टेट और नैशनल हाइवे के आसपास शराब की बिक्री पर रोक लगा दी थी. इससे देशभर में लगभग एक तिहाई यानी 30,000 वेंडर्स का कारोबार बंद हो गया. नतीजतन बीयर और शराब की मांग में गिरावट आई थी. अदालत ने आदेश के जरिए स्पष्टीकरण जारी किया, जिससे शराब की बिक्री से जुड़ी शर्तों में नरमी आई और कई दुकानें फिर से खुलीं.
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