हिंदी साहित्यकार रामचंद्र शुक्ल की धरती के नाम से पहचाने जाने वाली बस्ती ने कई महान हस्तियों से समाज को नवाजा है. कहा जाता है कि इस जगह का पुराना नाम वैशिष्ठी था, जो वशिष्ठ ऋषि के नाम से बना है, जिनका ऋषि आश्रम यहीं था. बस्ती दो ऐसे शहरों से घिरा है, जिनका बीजेपी के लिए बेहद महत्व है. बस्ती से राम की नगरी अयोध्या महज 70 किलोमीटर है. दूसरी तरफ, अगर यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के शहर गोरखपुर जाना हो, तो वो बस्ती से सिर्फ 77 किलोमीटर दूर है. बस्ती में चुनाव आगामी 12 अप्रैल को है.
2014 में ‘मोदी लहर’ के चलते इस सीट पर बीजेपी के हरीश द्विवेदी ने जीत दर्ज की थी. दूसरे नंबर पर समाजवादी पार्टी के बृजकिशोर रहे थे. तीसरे नंबर पर बीएसपी के रामप्रसाद चौधरी रहे थे. इस बार बीजेपी ने सांसद हरीश द्विवेदी दोबारा टिकट दिया है. एसपी-बीएसपी गठबंधन होने के कारण बहुजन समाज पार्टी की झोली में यह सीट जाने से पार्टी ने पूर्व मंत्री राम प्रसाद चौधरी को अपना उम्मीदवार बनाया है. वहीं अखिलेश सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे राजकिशोर सिंह को कांग्रेस ने पार्टी में एंट्री देकर चुनाव में उतारा है. माना जा रहा है कि राजकिशोर के आने से पिछले कई दशकों से यहां बदतर हालत में चल रही कांग्रेस में फिर से जान आ गई है. साथ ही, यहां अब लड़ाई त्रिकोणीय हो गई है. इसका फायदा बीजेपी को मिल सकता है.
बीएसपी उम्मीदवार पूर्व मंत्री राम प्रसाद चौधरी कप्तानगंज से पांच बार विधायक रह चुके हैं. 2009 में उनके भतीजे अरविंद चौधरी बीएसपी के टिकट पर बस्ती के सांसद बने थे. तब चौधरी ने राजकिशोर सिंह को हराया था, जो उस वक्त समाजवादी पार्टी में थे. राजकिशोर सिंह तीन बार हरैया सीट से एसपी सरकार में विधायक रह चुके हैं. उनको तीन बार यूपी कैबिनेट में जगह मिल चुकी है.
बस्ती सीट का सियासी इतिहास और विधानसभा सीटें
बस्ती लोकसभा सीट के तहत पांच विधानसभा सीटें आती हैं. ये सीटें- हरैया, बस्ती सदर, रुदौली, महादेवा और कप्तानगंज हैं. महादेवा अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीट है. बस्ती के पहले सांसद कांग्रेस के उदय शंकर दुबे थे। दूसरे आम चुनाव में यहां से निर्दलीय उम्मीदवार की जीत हुई थी. इसके बाद 1971 तक इस सीट पर कांग्रेस जीतती रही. 1977 में इस सीट से भारतीय लोकदल ने चुनाव जीता.
1980 और 1984 में यहां कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी. 1989 में जनता दल चुनाव जीती. इसके बाद साल 1991 से लेकर 2004 तक इस सीट पर बीजेपी के श्रीराम चौहान सांसद रहे. 2004 में बस्ती से बीएसपी के लालमणि प्रसाद चुनाव जीते. 2009 में इस सीट पर बीएसपी से अरविन्द कुमार चौधरी ने चुनाव जीता. 2014 में मोदी लहर के चलते यहां भाजपा का कब्जा हुआ.
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