वाराणसी में पीएम नरेंद्र मोदी को लोकसभा चुनाव में टक्कर देने वालों में महान हॉकी खिलाड़ी मोहम्मद शाहिद की बेटी हिना का भी नाम जुड़ गया है, जिन्होंने महिलाओं के मामलों पर आवाज बुलंद करने के लिये आखिरी दिन नामांकन पर्चा भर दिया. वैसे, हिना को बहुत अच्छे से पता है कि यहां मुकाबला उनके और मोदी के बीच नहीं है. लेकिन उन्हें हार का खौफ नहीं है. हिना ने बताया कि ‘हम यह सोचकर तो बिल्कुल भी नहीं बैठेंगे कि मोदीजी को हराना नामुमकिन है. मुझे हार का खौफ नहीं है और राजनीति में मुझे लंबी पारी खेलनी है. मुझे पता है कि यहां बहुत से लोग मुझे जानते भी नहीं होंगे, लेकिन मैं उनसे एक मौका जरूर मांगूंगी’.
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बता दें वाराणसी लोकसभा सीट से हिना ने जनहित पार्टी के टिकट पर आखिरी दिन अपना नामांकन पर्चा भरा. पीएम मोदी के खिलाफ कांग्रेस ने अजय राय को प्रत्याशी बनाया है. हाल ही में सपा-बसपा गठबंधन के प्रत्याशी तेज बहादुर यादव का नामांकन खारिज कर दिया गया है.
वाराणसी में 19 मई को मतदान होगा.
एक सवाल कि क्या पिता को उनका दर्जा नहीं मिल पाने का मलाल उन्हें राजनीति में खींच लाया है? इसके जवाब में हिना ने कहा कि ‘मैं निजी मसलों को लेकर राजनीति में नहीं आई. पापा के गुजरने के बाद कई दलों ने मां को राजनीति में आने के लिये कहा, लेकिन हम इसके लिये तैयार नहीं थे. मैं महिलाओं के मसलों पर आवाज उठाने के लिये चुनाव लड़ रही हूं’. वहीं, हिना का मानना है कि मोदी ने पिछले 5 साल में वाराणसी में बहुत काम किया है, लेकिन उन्हें जाति के आधार पर हो रही राजनीति से बहुत गुरेज है. उन्होंने कहा कि लगभग सभी राजनीतिक दल जाति के नाम पर युवाओं को बांट रहे हैं. देखकर मन दुखता है. इसका विरोध जरूरी है और उसके लिये आगे आना होगा.
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पेशे से फैशन डिजाइनर हिना की पहचान ओलंपियन मोहम्मद शाहिद की बेटी के रूप में है और हॉकी में जब ड्रिबलिंग का नाम आता है तो सबसे ऊपर शाहिद का नाम लिया जाता है. मास्को ओलंपिक (1980) में गोल्डऔर एशियाई खेलों (1982 में सिल्वर और 1986 में ब्रॉन्ज) में पदक जीत चुके शाहिद उस दौर में हॉकी के महानायक थे. जब खेल से जुड़ाव रेडियो के जरिये ही होता था और रेडियो ‘शाहिद, शाहिद, शाहिद’ के नाम से गूंजता रहता था. शाहिद का बनारस प्रेम किसी से छिपा नहीं था और उन्होंने साल 2016 में अंतिम सांस भी यहीं ली.
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