लखनऊ: SGPGI में तैनात होमगार्ड को उसी अस्पताल में नहीं मिला इलाज, लोकबंधु हॉस्पिटल पहुंचने से पहले तोड़ा दम

राजधानी लखनऊ (Lucknow) के एसजीपीजीआई (SGPGI) में डॉक्टर्स के आवास की सुरक्षा में तैनात 42 वर्षीय होमगार्ड (Home guard) मिथिलेश कुमार कन्नौजिया की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई। आरोप है कि मिथिलेश को पीजीआई अस्पताल में इलाज के लिए ले जाया गया, लेकिन डॉक्टरों ने गार्ड को भर्ती करने से मना कर दिया। इसके बाद गार्ड के साथी उसे लोकबंधु अस्पताल ले गए, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।

कोविड जांच रिपोर्ट न होने पर भर्ती करने से इंकार

मिली जानकारी के अनुसार, रविवार की सुबह अचानक होमगार्ड मिथिलेश की तबियत बिगड़ने लगी। तड़के सुबह चार बजे मिथिलेश के पेट और सीने में दर्द उठा। दर्द बर्दाश्त से बाहर होने पर वह कंट्रोल रूम गया। वहां मौजूद सहयोगी उसे पीजीआई के इमरजेंसी वार्ड में ले गए, लेकिन कोविड जांच रिपोर्ट न होने की वजह से उसे भर्ती नहीं किया गया।

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इस बीच गार्ड को होल्डिंग एरिया भेज दिया गया, जहां बेड भी उपलब्ध नहीं थे। इस दौरान होमगार्ड की हालत बिगड़ता देख साथी उसे नजदीक के ही लोकबंधु अस्पताल लेकर पहुंचे, पर वहां पहुंचने पर डॉक्टरों ने गार्ड की मौत हो जाने की बात कही।

लोकबंधु अस्पताल में डॉक्टर ने की मौत की पुष्टि

लोकबंधु अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ अजय शंकर त्रिपाठी ने बताया कि एसजीपीजीआई से मिथिलेश नाम के एक होमगार्ड को रविवार सुबह अस्पताल के इमरजेंसी लाया गया। डॉक्टरों ने जांच के बाद उसे ब्रॉट डेड करार दे दिया। वही, इस मामले में जब एसजीपीजीआई प्रशासन से बात करने का प्रयास किया गया पर किसी का फोन नही उठा।

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मामले में इंस्पेक्टर कृष्णानगर आलोक कुमार राय ने बताया कि लोकबंधु अस्पताल से होमगार्ड मिथलेश की मौत की सूचना पर उसका शव पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया था। मिथलेश जलालपुर तालकटोरा के रहने वाले थे। वह पीजीआइ अस्पताल में एक डाक्टर की सुरक्षा में तैनात थे और नाइट ड्यूटी पर थे। रविवार तड़के एकाएक मिथलेश की हालत बिगड़ी।

उन्होंने बताया कि लोकबंधु परिवारीजन लेकर पहुंचे जहां डाक्टरों ने मृत घोषित कर दिया। वहीं, मृतक के बेटे गौरव ने बताया कि पिता की हालत बिगड़ने पर उन्हें पीजीआइ लेकर पहुंचे वहां पर डाक्टरों ने भर्ती नहीं किया। फिर लोकबंधु लेकर गए तबतक उनकी हालत बिगड़ गई थी। पीजीआइ में अगर इलाज हो जाता तो पिता की शायद मौत न होती।

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