मध्य प्रदेश में आखिरकार शिवराज सिंह चौहान ने अपनी हार स्वीकार कर ली है. बुधवार सुबह शिवराज मीडिया के सामने आए और बेहद शालीनता और गंभीरता के साथ उन्होंने अपनी बात रखी. उन्होंने कहा कि जनता ने हमें स्पष्ट बहुमत नहीं दिया है, और इस हार की जिम्मेदारी मैं खुद लेता हूँ.
शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि मुझे 13 साल राज्य की सेवा करने का मौका मिला. मैंने मुख्यमंत्री बनकर नहीं परिवार का सदस्य बनकर सरकार चलाने की कोशिश की. जितनी क्षमता मुझमें थी, मैंने अपनी टीम के साथ जनता के कल्याण की कोशिश की. जिस वक्त हमने सत्ता संभाली थी, प्रदेश बदहाली की स्थिति में था. सड़क, बिजली पानी जैसे मुददे अहम थे. मुझे गर्व है ये कहते हुए कि आज आप चाहे बिजली, पानी, ग्रामीण विकास, शहरी विकास, सिंचाई सभी में भरसक कोशिश की कि प्रदेश को विकास की गति में लाया जाए.
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शिवराज सिंह चौहान ने कहा, ‘किसी का दिल दुखे ऐसा काम मैं कभी नहीं करता हूं. मेरे कार्यकाल के दौरान साढ़े सात करोड़ मध्य प्रदेश वासियों का यदि दिल दुखा हो तो मैं इसके लिए क्षमाप्रार्थी हूं. हम हमारे केंद्रीय नेतृत्व के आभारी हैं. ये बात सत्य है कि 2009 में हमने 38 प्रतिशत वोट हासिल किए थे सीटें मिली थी 140 से ज्यादा लेकिन इस बार वोट प्रतिशत ज्यादा है लेकिन सीटे कम हैं.’
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शिवराज सिंह ने कहा कि केंद्र की इतनी बेहतरीन योजनाओं, राज्य सरकार की बेहतरीन योजनाओं के बावजूद भी यदि राज्य में हम हारे हैं तो इसके लिए जिम्मेदार मैं हूं. कांग्रेस ने अपने वचन पत्र में जो वचन दिए है मुझे विश्वास है कि कांग्रेस अपने वायदे को पूरा करेगी. उन्होंने कहा कांग्रेस ने कहा था कि अगर 10 दिन में किसानों की कर्जमाफी नहीं हुई तो हम मुख्यमंत्री बदल देंगे. शिवराज ने कहा कि अब कांग्रेस अपने वादे पूरे करे. मैं अब चौकीदारी करूंगा कि वे अपना वादा पूरा करते हैं या नहीं. साथ ही शिवराज ने कहा कि हम अब लोकसभा चुनाव की तैयारियों में लगेंगे.
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