AAP को बड़ा झटका, जमानत भी नहीं बचा पाए प्रत्याशी, NOTA से भी कम मिले वोट

दिल्ली में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी (AAP) का अन्य राज्यों में बढ़ाने की कोशिशों को एक बार फिर करारा झटका लगा है. मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान सहित पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव परिणाम के आधार पर आप को नोटा से भी कम वोट मिले हैं. मध्य प्रदेश की 230 सीटों में से आप ने 208 पर उम्मीदवार उतारे थे. इनमें से अधिकतर उम्मीदवार अपनी जमानत भी नहीं बचा सके. राज्य में आप को मात्र 0.7 प्रतिशत वोट ही मिले जबकि 1.5 प्रतिशत मतदाताओं ने नोटा को अपनाया.

 

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मध्य प्रदेश में आप द्वारा घोषित मुख्यमंत्री पद के दावेदार आलोक अग्रवाल को महज 823 वोट ही मिल सके. नर्मदा बचाओ आंदोलन के सदस्य अग्रवाल भोपाल दक्षिण पश्चिम सीट से किस्मत आजमा रहे थे. आप ने 90 सदस्यीय छत्तीसगढ़ विधानसभा की 85 सीटों पर, 119 सदस्यीय तेलंगाना विधानसभा की 41 सीटों पर और 200 सदस्यीय राजस्थान की 142 सीटों पर उम्मीदवार खड़े किये थे. छत्तीसगढ़ में आप को 0.9 प्रतिशत और राजस्थान में मात्र 0.4 प्रतिशत वोट से संतोष करना पड़ा. आप का मत प्रतिशत इन राज्यों में नोटा के मत प्रतिशत से भी कम है. इसे आप के मिशन विस्तार के लिये तगड़ा झटका माना जा रहा है.

 

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दिल्ली से बाहर पार्टी अब तक सिर्फ पंजाब को छोड़ कर किसी अन्य राज्य में प्रभावी मौजूदगी दर्ज नहीं करा पायी है. पंजाब में पहली बार चुनाव लड़ने के बाद आप राज्य की मुख्य विपक्षी पार्टी के रूप में उभरी थी. अग्रवाल ने चुनाव में आप के निराशाजनक प्रदर्शन के बारे में कहा, ‘हमने चुनाव में स्वयं को बीजेपी और कांग्रेस की तरह पेश नहीं किया था. हम भारी भरकम संसाधनों वाली बीजेपी और कांग्रेस से अपनी तुलना नहीं कर सकते.’ इस बीच आप के कुछ नेताओं ने स्वीकार किया कि पार्टी ने इन चुनावों में पूरी शिद्दत से भाग लिया. चुनाव में भागीदारी की कवायद राज्यों में आप के संगठन को एकजुट रखने मात्र तक सीमित थी.

 

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पार्टी नेतृत्व ने आप नेता दीपक वाजपेयी को राजस्थान में पार्टी का प्रभार सौंप कर राज्य में जोरशोर से चुनाव में भागीदारी की थी. पार्टी संयोजक अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली सरकार के कामों के आधार पर राज्य में पार्टी प्रत्याशियों के पक्ष में प्रचार भी किया लेकिन मतदाताओं ने आप उम्मीदवारों को नकार दिया.

 

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आप के लचर प्रदर्शन के सवाल पर पार्टी की दिल्ली इकाई के संयोजक गोपाल राय ने कहा, ‘पार्टी संगठन विस्तार के मकसद से इन चुनावों में उतरी थी और इस मकसद में हम कामयाब हुए.’

 

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