महाराष्ट्र (Maharastra) के अहिल्यानगर (Ahilya Nagar) जिले के प्रसिद्ध धार्मिक स्थल श्री क्षेत्र शनि शिंगणापुर मंदिर (Shani Shingnapur Temple) परिसर में मुस्लिम लोगों के काम करने पर विवाद बढ़ता दिखा रहा है। क्योंकि मंदिर के प्रबंधन ट्रस्ट ने हाल ही में 167 कर्मचारियों को उनके गैर जिम्मेदाराना रवैये के आधार पर सेवा से हटा दिया है। इसमें से 114 लोगों मतलब लगभग 68 % लोग मुस्लिम कर्मचारी बताए जा रहे हैं।
विवाद की शुरुआत
21 मई 2025 को मंदिर के पवित्र चबूतरे पर ग्रिल लगाने के काम में मुस्लिम कर्मचारियों की संख्या थी, आपको बता दें कि इस घटना का एक वीडियो भी वायरल हुआ था जिसमें मन्दिर में काम करने वाले लोगों को मुस्लिम बताया गया था। जिसके बाद सकल हिन्दू समाज नामक संगठन ने इस घटना पर आपत्ति जताई थी। संगठन ने मंदिर परिसर में गैर-हिंदू कर्मचारियों को हटाने की मांग की थी और सकल हिंदू समाज ने चेतावनी दी है की अगर इन मुस्लिम कर्मचारियों को नहीं हटाया गया तो शनिवार (14/06) को संगठन एक बड़ा आंदोलन शनि शिंगणापुर मंदिर में करेगा।
मन्दिर में काम करने मुस्लिम मांस खा कर आते:संगठन
संगठन का ये भी कहना है की मन्दिर में काम करने वाले मुस्लिम लोग नॉनवेज खाते है। इस लिए उन्होंने कहा की मुस्लिम कर्मचारियों को हिंदू मंदिर प्रांगण या इससे जुडी संस्थाओ में काम क्यों करने दिया जा रहा है, अगर ऐसा ही रहा तो सकल हिन्दू समाज इस विषय पर आंदोलन करेगा।
मुस्लिम कर रहे थे मन्दिर में काम
मई 2025 में मंदिर परिसर में कुछ निर्माण या रखरखाव कार्य के दौरान यह दावा सामने आया कि मंदिर में काम करने वाले कई मुस्लिम कर्मचारी हैं, जिनकी संख्या 114 से 300 तक बताई जा रही है (विभिन्न स्रोतों में आंकड़े अलग-अलग हैं). यह जानकारी सबसे पहले कुछ हिंदू संगठनों और सोशल मीडिया पोस्ट्स के माध्यम से सामने आई. इन संगठनों, विशेष रूप से महाराष्ट्र मंदिर महासंघ और बीजेपी आध्यात्मिक मोर्चा के नेताओं ने आरोप लगाया कि इन कर्मचारियों की नियुक्ति हिंदू भावनाओं को ठेस पहुंचा रही है और मंदिर की सात्विकता को प्रभावित कर रही है. एक घटना में, इसी को लेकर अब विवाद बढ़ गया
मन्दिर ट्रस्ट का पक्ष
मंदिर के मुख्य कार्यकारी अधिकारी ने बताया की पूरे ट्रस्ट में कुल लगभग 2,400 कर्मचारी हैं, और जिन 167 को हटाया गया उनमें से अधिकांश ने पांच महीने से अधिक समय तक अनुपस्थिति है और उन्होंने कहा की यह कार्रवाई धर्म या जाति के आधार पर नहीं, बल्कि कर्मचारियों की लंबे समय की गैरहाजिरी और कार्य में लापरवाही के कारण की गई है।
मन्दिर पर राजनीति
इस मामले ने स्थानीय प्रशासन और राजनीतिक दलों में गहरी प्रतिक्रियाएं पैदा की हैं। एक ओर मानवाधिकार और वर्कप्लेस न्याय के समर्थक बोले हैं कि यह निर्णय धार्मिक सौहार्द को कमजोर करने वाला है, वहीं ट्रस्ट समर्थक इसे धार्मिक-संस्कृति की रक्षा बताकर समर्थन दे रहे हैं ।
Input – Ramkrishna Shukla