अखिलेश ने माता प्रसाद पांडेय को बनाया UP विधानसभा में ‘नेता प्रतिपक्ष’, PDA के बाद अब ब्राह्मण कार्ड!

समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने माता प्रसाद पांडेय (Mata Prasad Pandey) को नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी सौंपी है। सोमवार से यूपी में विधानसभा का मानसून सत्र शुरू होने जा रहा है। वहीं, इससे पहले ही सपा चीफ ने अपने फैसले से सभी को हैरत में डाल दिया है। ऐसा इसलिए क्योंकि नेता प्रतिपक्ष के तौर पर शिवपाल सिंह यादव के नाम की चर्चा जोरों पर रहीं। अखिलेश यादव ने पीडीए के बाद अब ब्राह्मण दांव चला है।

यादव परिवार के करीबी माने जाते हैं माता प्रसाद

सिद्धार्थनगर की इटवा सीट से विधायक 81 साल के माता प्रसाद पांडेय विधानसभा में सत्ता पक्ष से मुकाबला करेंगे। वह 7 बार विधायक रह चुके हैं। दो बार विधानसभा अध्यक्ष रहे हैं। साथ ही यादव परिवार के काफी करीबी माने जाते हैं। अखिलेश ने माता प्रसाद पांडेय को अहम पद देकर सपा को मुस्लिम-यादव से आगे ले जाने की कोशिश की है। बता दें कि अखिलेश के कन्नौज से सांसद चुने जाने के बाद से विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष का पद खाली था।

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सपा प्रमुख ने अमरोहा से विधायक महबूब अली को अधिष्ठाता मंडल, मुरादाबाद की कांठ सीट से एमएलए कमाल अख्तर को मुख्य सचेतक और प्रतापगढ़ से विधायक राकेश कुमार उर्फ आरके वर्मा को विधानसभा का उप-सचेतक बनाया है। नेता प्रतिपक्ष जाने के बाद माता प्रसाद पांडेय ने बताया कि साथियों से बात करके विधानसभा की रूपरेखा तय की जाएगी। उनके मुताबिक, आज हम सपा प्रमुख से मिले थे। हमारी राय पूछी गई तो हमने कहा कि जो जिम्मेदारी तय करेंगे वह निभाएंगे। माता प्रसाद को बाद में बताया कि आपको नेता प्रतिपक्ष बनाया गया है।

नेता प्रतिपक्ष बनना चाहते थे शिवपाल

माता प्रसाद सपा के सबसे सीनियर लीडर हैं। शिवपाल के नाम पर अखिलेश सहमत नहीं थे। ऐसे में माता प्रसाद वह नाम है, जिनका पार्टी के कैडर में कोई विरोध नहीं है। माता प्रसाद 7 बार विधायक रह चुके हैं। मुलायम और अखिलेश सरकार में विधानसभा अध्यक्ष रह चुके हैं। ऐसे में वह सीएम योगी और भाजपा के 255 विधायकों का मुकाबला कर सकते हैं। शिवपाल खुद नेता प्रतिपक्ष बनना चाहते थे। ऐसे में किसी और नेता को बनाया जाता तो वह शिवपाल के कद के आगे कमजोर पड़ सकता था। माता प्रसाद शिवपाल के भी करीबी रहे हैं। अखिलेश लगातार पीडीए यानी पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक की राजनीति कर रहे हैं। ऐसे में माता प्रसाद पांडेय के माध्यम से वह अगड़ी जाति के वोट बैंक पर भी सेंध लगाना चाहते हैं।

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