उत्तर प्रदेश में किसानों के साथ हुई धोखाधड़ी का एक मामला सामने आया है. दरअसल, गरीब किसानों को बांटने के लिए कई क्विंटल बीज खरीदकर उनको मुहैया करवाई गई है. लेकिन, बीजों की यह खरीद और आपूर्ति महज कागजों में हुई है. मतलब साफ है कि गरीब किसानों को इससे कुछ भी नहीं मिला है.
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बता दें धोखाधड़ी के इस मामले में बीज खरीद की फर्जी रसीदों पर अधिकारियों के हस्ताक्षर और सरकार की मुहर का स्पष्ट तौर पर इस्तेमाल किया गया था. वहीं, शुरुआती जांच में बताया गया है कि इस घोटाले के अधिकांश हिस्से को पूर्व सीएम मायावती और अखिलेश यादव के कार्यकाल के दौरान अंजाम दिया गया है.
उधर, अब तक 16.56 करोड़ रुपये की फर्जी रसीदों का पता चला है जो कि इस बड़े घोटाले का छोटा सा नमूना है. सरकारी धन के इस दुरुपयोग के संबंध में सीएम योगी आदित्यनाथ की सरकार ने आर्थिक अपराध शाखा को यह पता लगाने का निर्देश दिया है कि बीज घोटाला सिर्फ कानपुर (सरकारी गोदाम) में ही हुआ या उत्तर प्रदेश के दूसरे जिलों में भी ऐसा हुआ है.
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कृषि विभाग के अफसर ने की कार्रवाई
कृषि विभाग के वरिष्ठ अधिकारी उमाशंकर पाठक ने कहा कि ‘कानपुर पुलिस ने उत्तर बीज और विकास निगम की जांच के आधार पर पहले ही प्राथमिकी दर्ज की है. यह घोटाला पिछले साल तब उजागर हुआ जब बीज निगम ने भुगतान के लिए अपना बिल कृषि विभाग के पास भेजा. जांच के दौरान 99 लाख रुपये का एक फर्जी बिल पाया गया. बाद में घोटाले की विभागीय जांच शुरू की गई’. सूत्रों ने बताया कि पूर्व सीएम मायावती के कार्यकाल (2007-2012) और उसके बाद सत्ता में आए अखिलेश यादव के कार्यकाल (2012-2017) के दौरान 16.16 करोड़ रुपये के बिल फर्जी पाए गए.
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एक और अधिकारी ने बताया कि ‘हम मामले में किसी मंत्री या शीर्ष नौकरशाह की संलिप्तता से इंकार नहीं कर सकते हैं. ऐसा लगता है कि शीर्ष स्तर पर मिलीभगत थी. जांच के दौरान पाया गया कि 9080 और 7188 दो सीरीज की संख्या वाली रसीद फर्जी थी. यह जांच कानपुर स्थित गोदाम पर केंद्रित थी. प्रमुख अधिकारियों और भंडार के निचले स्तर के कर्मचारियों ने सिर्फ कागजों पर बीजों की खरीद और आपूर्ति दिखाई’.
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सीएम योगी ने बड़े खर्च वाले अहम मंत्रालयों के सचिवों को आंतरिक लेखापरीक्षा पर ध्यान देने का निर्देश दिया है ताकि सक्षम तरीके से सरकार का संचालन सुनिश्चित हो. सीएम ने पहले ही भ्रष्टाचार का अड्डा बने पशुपालन और चकबंदी विभागों के कई भ्रष्ट अधिकारियों को निलंबित कर दिया है. इससे पहले गोमती रिवर फ्रंट योजना और खनन घोटाला जैसे भ्रष्टाचार से संबंधित अहम मामलों की जांच सीएम ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) को सौंपी है.
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