जम्‍मू कश्‍मीर में ‘परिसीमन आयोग’ के गठन की तयारी में मोदी सरकार, जम्मू की सीटें बढ़ीं तो हिंदू बनेगा सीएम

बीजेपी राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह गृह मंत्रालय का प्रभार संभालने ही ऐक्शन में दिख रहे हैं. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक गृहमंत्री अमित शाह जम्मू-कश्मीर में परिसीमन आयोग के गठन पर विचार कर रहे हैं, और नए सिरे से परिसीमन करवा सकते हैं. बताद दें कि घाटी में 2002 से परिसीमन पर रोक लगी हुई थी, लेकिन अब अमित शाह इस फैसले को पलट सकते हैं.


बताया जा रहा है कि जम्मू कश्मीर विधानसभा में प्रतिनिधित्व की असमानता दूर करने के लिए सरकार ने परिसीमन आयोग गठित करने का फैसला किया है. अभी मौजूदा समय में जम्मू क्षेत्र से ज्यादा विधायक कश्मीर क्षेत्र से चुनकर आते हैं. जम्मू क्षेत्र कश्मीर से बड़ा है और इसे देखते हुए इस क्षेत्र में ज्यादा सीटें होनी चाहिए लेकिन पिछले समय में हुए परिसीमन में यहां की जनसंख्या एवं क्षेत्र को नजरंदाज किया गया. जिसके चलते जम्मू क्षेत्र की न्यायसंगत नुमाइंदगी विधानसभा में नहीं हो पाई. जम्मू क्षेत्र के लोग काफी समय से इस असमानता को दूर करने की मांग करते आए हैं.


परिसीमन पर लगी रोक हटने का मतलब है कि जम्मू एवं कश्मीर क्षेत्र की विधानसभा सीटों में बदलाव होगा. जम्मू क्षेत्र की मांग के अनुरूप यदि परिसीमन हुआ तो आने वाले समय में उसके हिस्से में विधानसभा की ज्यादा सीटें आ सकती हैं. ऐसा होने पर आने वाले समय में जम्मू क्षेत्र से कोई हिंदू मुख्यमंत्री बन सकता है. अब तक जम्मू-कश्मीर विधानसभा में कश्मीर का दबदबा रहा है.


जानें परिसीमन का इतिहास

जम्मू कश्मीर में आखिरी बार 1995 में परिसीमन किया गया था, जब गवर्नर जगमोहन के आदेश पर जम्मू-कश्मीर में 87 सीटों का गठन किया गया. जम्मू-कश्मीर विधानसभा में कुल 111 सीटें हैं, लेकिन 24 सीटों को रिक्त रखा गया है. राज्य के संविधान के सेक्शन 48 के मुताबिक इन 24 सीटों को पाक अधिकृत कश्मीर के लिए खाली छोड़ गया है और बाकी बची 87 सीटों पर ही चुनाव होता है.


संविधान के अनुसार हर 10 साल के बाद निर्वाचन क्षेत्रों का परिसीमन किया जाना चाहिए. इस तरह से जम्मू-कश्मीर में सीटों का परिसीमन 2005 में किया जाना था लेकिन फारुक अब्दुल्ला सरकार ने 2002 में इस पर 2026 तक के लिए रोक लगा दी थी. अब्दुल्ला सरकार ने जम्मू-कश्मीर जनप्रतिनिधित्व कानून 1957 और जम्मू-कश्मीर के संविधान में बदलाव करते हुए यह फैसला लिया था.


जानें सूबे की विधानसभा का गणित

2011 की जनगणना के मुताबिक सूबे के जम्मू इलाके की आबादी 53,78,538 है और यह प्रांत की 42.89 फीसदी आबादी है. जम्मू संभाग की कुल आबादी में डोगरा समुदाय की आबादी 62.55 प्रतिशत है. प्रांत का 25.93 फीसदी क्षेत्रफल जम्मू संभाग के अंतर्गत आता है और विधानसभा की कुल 37 सीटें यहां से चुनी जाती है. दूसरी तरफ, कश्मीर घाटी की आबादी 68,88,475 है और यह सूबे की आबादी का 54.93 फीसदी हिस्सा है. कश्मीर घाटी की कुल आबादी में 96.4 प्रतिशत मुस्लिम हैं. कश्मीर संभाग का क्षेत्रफल राज्य के क्षेत्रफल का 15.73% है और यहां से कुल 46 विधायक चुने जाते हैं. इसके अलावा राज्य के 58.33% क्षेत्रफल वाले लद्दाख संभाग में 4 विधानसभा सीटें हैं. लद्दाख रीजन की आबादी महज 2,74,289 है। इसमें 46.40 प्रतिशत मुस्लिम, 12.11 प्रतिशत हिंदू और 39.67 प्रतिशत बौद्ध हैं.


एससी-एसटी को मिल सकता है आरक्षण

खबरें बाहर आ रही हैं उनके मुताबिक अगर नया परिसीमन लागू होता है तो कश्मीर रीजन में SC-ST के लिए कुछ विधानसभा सीटें आरक्षित की जा सकती हैं. दरअसल, जम्मू-कश्मीर विधानसभा को लेकर कई बार सवाल खड़े होते रहे हैं. जम्मू क्षेत्र के लोगों ने कई बार सवाल खड़े किए हैं कि विधानसभा में उनकी उपस्थिति कम है, तो वहीं कश्मीर के लोगों की ओर से शिकायत थी कि वहां गुर्जर, बक्करवाल और गढ़ी समुदाय के लोगों को SC/ST की श्रेणी में डाला गया था लेकिन उनका कोई प्रतिनिधि विधानसभा में ही नहीं है. बता दें कि जम्मू संभाग में 7 सीटें एससी के लिए रिजर्व हैं, इनका भी रोटेशन नहीं हुआ है.


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