बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती (Mayawati) ने रविवार को सपा प्रमुख अखिलेश यादव पर निशाना साधा है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर किए गए एक पोस्ट में उन्होंने सपा (Samajwadi Party) पर भी कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की तरह दलितों और बहुजनों के अधिकारों की अनदेखी करने का आरोप लगाया।
सपा पर जातिवादी रवैये का आरोप
मायावती ने लिखा कि सपा, कांग्रेस और भाजपा की ही तरह दलितों को उनका संवैधानिक हक दिलाने और उनके कल्याण के लिए कोई ठोस प्रयास नहीं कर रही है। उन्होंने कहा कि इन दलों में दलितों की गरीबी, जातिगत शोषण और अन्याय को खत्म करने की न तो कोई सहानुभूति है और न ही इच्छाशक्ति। इसी वजह से यह वर्ग आज भी मुख्यधारा से कोसों दूर है।
4. स्पष्ट है कि कांग्रेस व भाजपा आदि की तरह ही सपा भी अपनी नीयित व नीति में खोट/द्वेष के कारण कभी भी दलितों-बहुजनों की सच्ची हितैषी नहीं हो सकती है, किन्तु इनके वोटों के स्वार्थ की खातिर लगातार छलावा करती रहेगी, जबकि बीएसपी ’बहुजन समाज’ को शासक वर्ग बनाने को समर्पित व संघर्षरत।
— Mayawati (@Mayawati) April 20, 2025
बसपा सुप्रीमो ने सपा की जातिवादी नीतियों और बीएसपी के साथ विश्वासघात की घटनाओं को भी याद किया। उन्होंने 2 जून को उनके नेतृत्व पर हुए कथित हमले, प्रमोशन में आरक्षण से जुड़े बिल को संसद में फाड़ने, और बसपा सरकार द्वारा बनाए गए जिले, पार्क, मेडिकल और शिक्षण संस्थानों के नाम बदलने को ‘घोर जातिवादी कृत्य’ बताया। उन्होंने कहा कि इन घटनाओं को माफ करना असंभव है।
बसपा के मिशन की चर्चा
मायावती ने कहा कि बीएसपी का उद्देश्य जातिवादी व्यवस्था को खत्म कर समतामूलक समाज की स्थापना करना है, जिसमें सभी वर्गों के बीच भाईचारा हो। उन्होंने दावा किया कि पार्टी इस मिशन में काफी हद तक सफल रही है। वहीं सपा पर आरोप लगाया कि वह अपने संकीर्ण राजनीतिक स्वार्थ के लिए इस मिशन को नुकसान पहुंचाने में लगी हुई है।
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दलितों के सच्चे हितैषी नहीं सपा, कांग्रेस और भाजपा
मायावती ने कहा, “कांग्रेस, भाजपा और सपा जैसी पार्टियां दलितों और बहुजनों की सच्ची हितैषी नहीं हो सकतीं। ये पार्टियां केवल वोट बैंक के लिए छलावा करती हैं। जबकि बसपा का लक्ष्य बहुजन समाज को शासक वर्ग बनाना है और इसके लिए पार्टी संघर्षरत है।”
17 अप्रैल को भी साधा था निशाना
गौरतलब है कि इससे पहले 17 अप्रैल को भी मायावती ने एक्स पोस्ट के माध्यम से सपा पर हमला किया था। उन्होंने सपा पर दलितों को आगे कर तनाव और हिंसा फैलाने का आरोप लगाया था। उन्होंने इसे घोर संकीर्ण स्वार्थ की राजनीति बताया था और दलितों, पिछड़ों और मुस्लिम समाज से सपा के बहकावे में न आने की अपील की थी।
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