गेस्ट हाउस कांडः मायावती ने मुलायम के खिलाफ दर्ज मुकदमा वापस लिया

लोकसभा चुनाव से पूर्व सपा और बसपा ने ढाई दशक की दुश्मनी को खत्म कर जिस तरह दोस्ती की थी, वह दोस्ती तो नहीं रही, लेकिन 1995 के गेस्ट हाउस कांड (Guest House case) में मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) के खिलाफ दर्ज मुकदमा खत्म हो गया है. चुनावी गठबंधन के एक महीने के भीतर मायावती (Mayawati) ने सुप्रीम कोर्ट से औपचारिक रूप से मुकदमा वापस ले लिया था. माया ने ऐसा करने का संकेत देकर सपा को उत्साहित तो किया था, लेकिन कभी औपचारिक रूप से इसकी घोषणा नहीं की. सुप्रीम कोर्ट में बसपा की अपील पूरे 15 साल लंबित रही. गठबंधन टूटने के छह माह बाद सपा के प्रति यह नरमी चौंकाने वाली है.


हजरतगंज थाने में दर्ज हुए थे तीन मुकदमें

उत्तर प्रदेश की राजनीति में 2 जून 1995 का दिन स्टेट गेस्ट हाउस कांड के रूप में जाना जाता है. मायावती पर हमले के विरोध में मुलायम सिंह यादव उनके छोटे भाई शिवपाल यादव, सपा के वरिष्ठ नेता धनीराम वर्मा, मो. आजम खान, बेनी प्रसाद वर्मा समेत कई नेताओं के खिलाफ हजरतगंज कोतवाली में तीन मुकदमे दर्ज हुए थे. इनमें से सिर्फ मुलायम सिंह यादव के खिलाफ मुकदमा वापस लेने के लिए शपथ पत्र दिया गया है. सतीश चंद्र मिश्रा ने इसकी पुष्टि करते हुए सिर्फ इतना कहा कि मुलायम के खिलाफ मुकदमा वापस लेने का शपथ पत्र भेज दिया गया है. जनवरी में जब सपा-बसपा का गठबंधन हुआ था उस वक्त अखिलेश यादव ने बसपा सुप्रीमों से यह मुकदमा वापस लेने का अनुरोध किया था. मौजूदा वक्त में यह मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है.


क्या था गेस्ट हाउस कांड ?

घटना दो जून 1995 को लखनऊ के मीराबाई मार्ग स्थित वीआइपी गेस्ट हाउस में हुई थी. बसपा ने उत्तर प्रदेश में सपा की तत्कालीन सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया था. उस समय मुलायम सिंह मुख्यमंत्री थे. बसपा का आरोप था कि समर्थन वापस लेने के बाद सपा ने उसके पांच विधायकों का गेस्ट हाउस से अपहरण कर लिया और उन्हें विक्रमादित्य मार्ग ले गए जहां मुलायम सिंह व अन्य मंत्री मौजूद थे. वहां विधायकों को समर्थन के बदले में 50-50 लाख रुपये और मंत्री पद का प्रलोभन दिया गया. इसी मामले को लेकर मायावती ने गेस्ट हाउस में बसपा के विधायकों की बैठक बुलाई थी. इस बीच सपा कार्यकर्ताओं ने गेस्ट हाउस पर हमला बोल दिया. मायावती खुद को बचाने केलिए कमरे में बंद हो गईं. सपा कार्यकर्ता बुरी तरह हमलावर थे.यहां तक उनके कपड़े तक फाड़ दिए थे. तमाम भाजपा और बसपा समर्थकों की मदद से मायावती को बचाया गया था.


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