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मेरठ: अफ़सरों के सामने पलायन की हक़ीक़त बयां करते फूट-फूटकर रोए पीड़ित, पंचायत में हिंदू-मुस्लिम पक्षकार भी भिड़े

उत्तर प्रदेश एक मेरठ में पलायन (Meerut Migration) का मुद्दा जैसे ही मीडिया में आया. दिल्ली से लेकर लखनऊ में हडकंप मच गया. अफसरों का जवाब-तलब हुआ तो सभी घटनास्थल की ओर दौड़े. एडीजी प्रशांत कुमार और कमिश्नर अनीता सी मेश्रम ने कालोनी में पहुंचकर पूरी लिस्ट तैयार की. देखा गया कि आजादी से अब तक कितने परिवार रहते थे. मौजूदा हाल में कितने परिवार हैं. हाल के दिनों में कितने परिवार यहां से मकान बेचकर चले गए. एडीजी पलायन शब्द से कतराते रहे लेकिन स्वीकारा कि बड़ी संख्या में हिन्दू परिवार यहाँ से घर बेंचकर चले गए.


पुलिस के सामने ही रोने लगे पीड़ित परिवार

गुरुवार को पलायन के मामले ने तूल पकड़ा तो थाने के इंस्पेक्टर से लेकर सीओ, सिटी मजिस्ट्रेट, एसपी क्राइम, एडीएम सिटी, डीएम, एसएसपी, कमिश्नर, आइजी और एडीजी खुद मौके पर पहुंच गए. इस दौरान कई हिन्दू परिवारों का दर्द छलक कर सामने आ गया और फूट-फूटकर रोने लगे. पीड़ित परिवार ने बताया कि अभी तक इस इलाके के लोग रोजाना बाइकर्स के स्टंट, बेटियों से छेड़छाड़ और मुस्लिम समुदाय के लोगों की टिप्पणी से परेशान थे. ऐसा नहीं कि उन्होंने पुलिस और प्रशासनिक अफसरों को मामले की शिकायत नहीं की, बल्कि उनकी शिकायत को अनदेखा कर दिया जाता था. मजबूर होकर उन्हें अपना मकान कम दाम में बेचकर दूसरी कालोनियों में शिफ्ट होना पड़ा.


पहले परेशान करते फिर मोटी रकम का प्रस्ताव रखते

स्थानीय लोगों के मुताबिक़ कि पहले तो स्टंट दिखाकर जीना मुहाल कर देते हैं. इतना डर दिखाते हैं कि रात में अपने मकान में आना भी दूभर हो जाता है. उसके बाद मकान की मोटी रकम लगाकर बेचने को मजबूर कर देते हैं. इसी तरह से काफी लोग अपने मकान बेचकर दूसरे स्थानों पर जाकर रहने लगे हैं.


पीड़ित बोले हम सुरक्षित नहीं हैं

लिसाड़ी गेट थाना क्षेत्र के प्रहलाद नगर और इस्लामाबाद को जोड़ने वाले लुहार पुरा बोर्डर पर गुरुवार को एडीजी, कमिश्नर, आइजी, डीएम, एसएसपी संग आला अफसर मौजूद थे. पुलिस की पूछताछ में पीड़ित जितेन्द्र पाहवा ने गुहार लगाते हुए कहा कि साहब, हम किसी भी तरह सुरक्षित नहीं हैं. प्रहलाद नगर सिकुड़ रहा है. इसे उजड़ने से बचाओ. जिसे सुनकर अफसर भी सन्न रह गए. इस दौरान वहां मौजूद और भी लोगों ने पीड़ित की बात का समर्थन किया. भाजपा पार्षद जितेंद्र पाहवा ने आला अफसरों से रोते हुए कहा कि शरारती तत्व उत्पात मचाते हैं, ऐसे में उनसे दुश्मनी मोल लेनी पड़ती है. जो भी सजा देनी है दे दो, मगर प्रहलाद नगर को बचा लो. हम बहुत दुखी हैं. कहो तो हम यहां से चले जाते हैं.


पंचायत में हिन्दू-मुस्लिम पक्षकार भिड़े

पंचायत में आला अफसरों से अपना पक्ष रखते हुए हिन्दू और मुस्लिम पक्ष के लोग आपस में भिड़ गए. वहीं मुस्लिम पक्ष के रहीसुद्दीन कुरैशी ने बताया कि यहाँ के हिन्दू हमारे भाई जान हैं. झगड़े की कोई बात नहीं है. मकान क्यों बेचा जा रहा है, मुख्य बात ये है. पचास गज में रहने वाले परिवार के चार बच्चे बड़े होने पर उन्हें वह जगह कम पड़ती है. जिस कारण उनका गुजर बसर नहीं हो पा रहा. दस लाख रुपये में प्रहलाद नगर के लोग मकान खरीद नहीं पाते, ऐसे में संप्रदाय विशेष का परिवार उस मकान को खरीद लेता है. किसी को तकलीफ देना मकसद नहीं है.


हिन्दू परिवारों ने बतायीं समस्या

हिन्दू परिवारों ने आला अफसरों को अपनी समस्याएं बतायीं. जिसके मुताबिक़ इलाकें में शरारती तत्वों का दिनभर जमावड़ा लगा रहता है. बाइक स्टंट और लड़कियों से छेड़छाड़ और फ़फ्तियाँ कसी जातीं हैं. मोबाइल, पर्स और चेन स्नेचिंग, चोरी की वारदात हर तीसरे दिन होती है. पीड़ित परिवारों ने इस्लामाबाद और प्रहलाद नगर के बार्डर पर गेट लगाने की मांग की है. कोचिंग जातीं छात्राओं का कुछ युवक पीछा करते हैं और भद्दी-भद्दी टिप्पणियां करते हैं. हिन्दू परिवारों ने इन सबमें मुस्लिम धर्म के युवकों के शामिल होने की बात कही है.


हिन्दू महासंघ बोला पुलिस मुद्दे पर भटका रही

विश्व हिदू महासंघ की जिला इकाई के पदाधिकारियों का कहना है कि प्रहलाद नगर में शरारती तत्वों की अराजकता से परेशान होकर पलायन करने को मजबूर परिवारों का दर्द पुलिस-प्रशासन सुनने को तैयार नहीं है. दहशत की वजह से एक के बाद एक मकान बिक रहा है, यह पलायन नहीं तो क्या है. पलायन को प्रशासनिक अफसर भी समझ रहे हैं, मगर अपनी गर्दन फंसती देख मुद्दे से लोगों को भटका रहे हैं.


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एडीजी बोले- पलायन नहीं दूसरा मामला है

एडीजी जोन प्रशांत कुमार ने बताया कि प्रह्लाद नगर में पलायन नहीं गेट लगाने का मामला है. स्थानीय लोगों की समस्याओं का निस्तारण किया जाएगा. एक समुदाय ने प्रह्लाद नगर में स्टंटबाजी, छेड़खानी, फायरिंग और ट्रैफिक की समस्या होने की शिकायत की है. फिलहाल पुलिस पिकेट लगा दी. प्रह्लाद नगर में सुरक्षा की दृष्टि से गेट भी लगाने की बात सामने आई. इसको लेकर सीओ कोतवाली और एडीएम सिटी के नेतृत्व में समिति गठित की गई. जोकि स्थिति की सही रिपोर्ट देगी.


पलायन का दर्द बयां करने के दौरान रो पड़ा पीड़ित

क्या एडीजी जानबूझकर मुद्दे को दबा रहे ?

कुल मिलाकर बीते 5 सालों में मेरठ के प्रहलाद नगर से हिन्दुओं का पलायन हुआ है. इस बात को मेरठ के एडीजी और कमिश्नर ने भी स्वीकारा है. हालांकि अफसर इसे पलायन नहीं मान रहे है और इसके पक्ष में कई तर्क दे रहे हैं. अब ऐसे सवाल यह है कि इन आला अफसरों के लिए पलायन की आखिर परिभाषा क्या है? इस इलाके में अगर छेड़छाड़, स्टंट, युवतियों पर टिप्पणियां होती रही तो अब तक एडीजी प्रशान्त कुमार की पुलिस कहां थी ? पीड़ितों के मुताबिक़ उन्होंने कई बार इन सबकी शिकायत की लेकिन कोई ध्यान नहीं दिया गया तो आखिर मेरठ पुलिस अभी तक क्यों सोती रही और मीडिया में मुद्दे के उठने के इन्तेजार में बैठी रही. क्या एडीजी प्रशांत कुमार फजीयत से बचने के लिए इस मुद्दे को दबा रहे ? ऐसे कई सवाल हैं जो उठ रहे हैं.


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