केंद्रीय गृह मंत्रालय ने बुधवार को दिल्ली में रोहिंग्या मुस्लिमों (Rohingya Muslims) को घर दिए जाने को लेकर चल रही खबरों का खंडन किया है। गृह मंत्रालय (Home Ministry) ने ट्वीट कहा कि नई दिल्ली के बक्करवाला में रोहिंग्या मुस्लिमों को ईडब्ल्यूएस फ्लैट उपलब्ध कराने का कोई निर्देश नहीं दिया। दिल्ली सरकार ने रोहिंग्या मुस्लिमों को नई जगह शिफ्ट करने का प्रस्ताव दिया था। रोहिंग्या मुस्लिमों का प्रत्यर्पण किए जाने को लेकर गृह मंत्रालय पहले ही सम्बंधित देशों से संपर्क कर चुका है।
गृह मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि अवैध घुसपैठियों को या तो डिटेंशन सेंटर में रखा जाता है या फिर उन्हें उनके देश भेजा जाता है। मंत्रालय ने कहा कि दिल्ली सरकार ने उक्त लोकेशन को अभी तक डिटेंशन सेंटर नहीं घोषित किया है, लेकिन उन्हें तुरंत ऐसा करने का आदेश दिया गया है।
Govt of Delhi proposed to shift the Rohingyas to a new location. MHA has directed the GNCTD to ensure that the Rohingya illegal foreigners will continue at the present location as MHA has already taken up the matter of their deportation with the concerned country through MEA.
— गृहमंत्री कार्यालय, HMO India (@HMOIndia) August 17, 2022
दरअसल, केंद्रीय आवास एवं शहरी विकास मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने ट्वीट कर कहा था कि भारत ने हमेशा उन लोगों का स्वागत किया है, जिन्होंने देश में शरण मांगी है। एक ऐतिहासिक फैसले में सभी रोहिंग्या शरणार्थियों को दिल्ली के बक्करवाला इलाके में ईडब्ल्यूएस फ्लैटों में ट्रांसफर किया जाएगा। वहां उन्हें मूलभूत सुविधाएं, यूएनएचसीआर आईडी और 24 घंटे दिल्ली पुलिस का संरक्षण प्रदान किया जाएगा। इस ट्वीट के बाद बीजेपी अपने ही समर्थकों के निशाने पर आ गई।
Press Statement:
Instead of Housing Rohingyas, push them out of Bharat: Alok Kumar pic.twitter.com/pv6Yl3Cele— Vishva Hindu Parishad -VHP (@VHPDigital) August 17, 2022
वहीं, विश्व हिंदू परिषद ने इस कदम की कड़ी निंदा की। विहिप ने कहा कि कि रोहिंग्या मुस्लिमों को बसाने की जगह उन्हें देश से बाहर निकाला जाना चाहिए। विहिप के केंद्रीय कार्यकारी अध्यक्ष एवं वरिष्ठ अधिवक्ता आलोक कुमार ने कहा कि संगठन केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी के बयान से हतप्रभ है, जिसमें उन्होंने रोहिंग्या को ‘प्रवासी’ कह कर सम्बोधित किया है और दिल्ली के बक्करवाला में उन्हें फ्लैट्स देने की घोषणा की है।
उन्होंने बीते 10 दिसंबर, 2020 को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा संसद में दिए गए बयान की भी याद दिलाई, जिसमें उन्होंने कहा था कि रोहिंग्या को कभी भी स्वीकार नहीं किया जाएगा। विहिप ने स्पष्ट किया कि रोहिंग्या प्रवासी नहीं, बल्कि घुसपैठिए हैं। आलोक कुमार ने याद दिलाया कि केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में डाली गई एफिडेविट में भी यही बताया है। उन्होंने ये भी ध्यान दिलाया कि पाकिस्तान से आए हिन्दू शरणार्थी अभी भी मजनू का टीला में अमानवीय तरीके से अपना जीवन जी रहे हैं।
Video Press Statement
Instead of Housing Rohingyas, push them out of Bharat: Alok Kumar pic.twitter.com/fXRgBkzhL6— Vishva Hindu Parishad -VHP (@VHPDigital) August 17, 2022
उन्होंने कहा कि रोहिंग्या के लिए जिस तामझाम का ऐलान किया है, उससे इन पीड़ित हिन्दू शरणार्थियों को और दुःख पहुंचेगा। साथ ही मोदी सरकार से विहिप ने आग्रह किया है कि अपने कदम पर पुनर्विचार कर के रोहिंग्या को बसाने की जगह उन्हें वापस भेजने की प्रक्रिया शुरू करें। असल में भारत ने 1951 के उस यूएन के उस प्रस्ताव पर हस्ताक्षर नहीं किया था, जिसे शरणार्थियों के सम्बन्ध में लाया गया था। इसीलिए, भारत इन्हें सारी सुविधाएं देने की अनिवार्यता से बंधा नहीं हुआ है।
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