इस गांव में मुसलमानों पर टोपी पहनने और दाढ़ी रखने पर लगा प्रतिबंध, खुले में नमाज भी नहीं

हरियाणा के रोहतक जिले में मुसलमानों को लेकर गांव के लोगों ने एक फरमान जारी किया है। यहां के मुसलमानों से कहा गया है कि वो खुली जगह में नमाज अता न करें और हिंदू नाम ही रखें। गांववालों ने मुसलमानों को हिदायत देते हुए कहा कि वो अपनी पहचान जाहिर करने वाली चीजों से दूरी बनाएं। मुसलमानों से कहा गया है कि वो सिर पर टोपी नहीं पहनें और न ही दाढ़ी बढ़ाएं।

 

मुस्लिमों पर हमलों की वजह से लिया फैसला

अंग्रेजी अखबार द हिंदू के मुताबिक, हरियाणा के रोहतक जिले के टिटोली गांव के लोगों ने मुसलमानों को लेकर मौखिक संकल्प लिया है। जिस वक्त यह बैठक हुई, उस दौरान टिटोली पुलिस चौकी के आधा दर्ज पुलिसवाले वहां मौजूद थे। रिपोर्ट में कहा गया है कि 22 अगस्त को एक बछड़े की हत्या के आरोप में भीड़ ने गांव के एक मुस्लिम परिवा के घर पर हमला कर दिया था।

 

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जिसके बाद लोगों को आईपीसी और पंजाब गाय वध निषेध अधिनियम 1955 के अंतर्गत गिरफ्तार किया गया था। मामले पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए रोहतक के एसडीएम राकेश कुमार ने कहा है कि यह मामला बुधवार की शाम उनकी जानकारी में आया है, इसकी जांच की जाएगी। उन्होंने कहा कि यह असंवैधानिक है, इस संबंध में मैं गाव के सरपंच से बात करूंगा।

 

बता दें कि रोहतक तहसील नंबरदार एसोसिएशन के अध्यक्ष सुरेश नंबरदार इस बैठक में मौजूद थे। उन्होंने बताया है कि यह बैठक मंगलवार (18 सितंबर) की शाम की गई थी और गांव के सभी जाति-धर्म और समुदायों के लोग वहां मौजूद थे। उन्होंने बताया कि प्रतिबंधों के अलावा यह भी तय किया गया था कि गांव के बीच की एक एकड़ की बक्फ बोर्ड की जमीन पंचायत के द्वारा ली जाएगी और मुसलमानों को गांव के बाहर एक प्लाट दिया जाएगा, जिसका इस्तेमाल वे कब्रिस्तान के लिए कर सकेंगे।

 

मुस्लिम एकता मंच ने फैसले को बताया असंवैधानिक

सुरेश नंबरदार ने कहा कि गांव में कई दशकों से हिंदू और मुसलमान सद्भावना से रहते आ रहे थे लेकिन उत्तर प्रदेश के कुछ नए बसने वालों ने गांव की शांति भंग कर दी। उन्होंने कहा कि बैठक में यह भी तय किया गया है कि गोहत्या के आरोपी और अगस्त में घर पर हमला झेलने वाली यामीन को गांव में आने की इजाजत नहीं दी जाएगी।

 

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वहां के एक स्थानीय मुस्लिम नेता राजबीर ने कहा कि समुदाय ने सद्भावना बनाए रखने के लिए फैसलों को स्वीकार कर लिया है। उनका कहना है कि हम बंटवारे के बाद से हिंदू नाम रखते आए हैं और सिर पर टोपी या दाढ़ी नहीं रखते हैं। उन्होंने कहा कि चूंकि गांव में कोई मस्जिद नहीं है, इसलिए हम शुक्रवार या किसी अन्य अवसर पर नमाज अता करने के लिए करीब आठ से दस किमी की यात्रा कर रोहतक शहर जाते हैं।

 

वहीं, मुस्लिम एकता मंच के अध्यक्ष शाहजद खान ने फैसले को असंवैधानिक करार देते हुए कहा कि स्थानीय लोगों को इसे स्वीकार करने के लिए मजबूर होना पड़ा क्योंकि उनके पास कोई विकल्प नहीं था।

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