अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए गठित श्री राम जन्मभूमि तीर्थ ट्रस्ट को लेकर नया विवाद शुरू हो गया है। निर्वाणी अखाड़ा के महंत और राम मंदिर मुकदमे में पक्षकार रहे महंत धर्मदास (Mahant Dharm Das) ने ट्रस्ट के गठन पर सवाल खड़ा कर दिया है। उन्होंने ट्रस्ट के गठन में हुईं अनियमितता को लेकर केंद्र सरकार और गृह मंत्रालय को नोटिस भेजा है।
महंत धर्मदास का कहना है कि जब सारी संपत्ति भगवान की है तो भगवान को ट्रस्ट में शामिल क्यों नहीं किया गया? और पूर्व में आए दान और चढ़ावे को क्यों नवगठित ट्रस्ट में प्रदर्शित नहीं किया गया? उनका यह भी आरोप है कि वैष्णव संप्रदाय के अखाड़ों में से किसी को ट्रस्ट में जगह क्यों नहीं दी गई? यही नहीं उन्होंने सवाल उठाया कि ट्रस्ट में जिन लोगों को शामिल किया गया है, वह ट्रस्ट का व्यवसाय और व्यापार कर रहे हैं। ऐसे लोगों को ट्रस्ट में कैसे शामिल किया गया? यह ट्रस्ट पूरी तरह सुप्रीम कोर्ट के मंशा के विपरीत है।
महंत धर्मदास ने कहा कि केंद्र सरकार ने जिस व्यक्ति या जिस संस्था से ट्रस्ट बनवाया है और जो व्यक्ति इसमें अथॉरिटी है, उसको नोटिस दी गई है। यह नोटिस इसलिए दी गई है क्योंकि यह राम जन्मभूमि ट्रस्ट सुप्रीम कोर्ट की मंशा के अनुरूप नहीं बना है। इसमें जो आदमी चुन-चुन कर रखे हैं, उनकी हैसियत का कोई प्रमाण नहीं है। वैष्णव संप्रदाय के किसी व्यक्ति को नहीं लिया गया। अयोध्या से किसी को नहीं लिया गया। इस ट्रस्ट को केवल व्यवसाय का केंद्र बनाकर छोड़ दिए हैं इसलिए नोटिस दिया है।
उन्होंने कहा कि इन लोगों का कार्य बहुत गलत है, जिस ट्रस्ट को 1 रुपए देकर दिल्ली में ट्रस्ट बनाया है, वह गलत है। महंत ने कहा कि ट्रस्ट का निर्माण अयोध्या में होना चाहिए था और सभी संपत्ति भगवान की है, मालिक भगवान हैं। भगवान के निमित्त सब कुछ ट्रस्ट में होना चाहिए था। भगवान को रखकर ट्रस्ट बनाना पड़ता है लेकिन ट्रस्ट में ना भगवान है और ना भगवान की संपत्ति का विवरण है।
उन्होंने कहा कि भगवान के ट्रस्ट में जितना पैसा पहले से जमा था, उसका भी खुलासा नहीं किया गया है कि कितना पैसा पहले से जमा है और बाद में कितना पैसा मिलाया जा रहा है। भगवान का जो 8 से 10 करोड़ रुपया पहले से था, उसको भी नहीं दिखाया गया है। इन लोगों ने नौटंकी करके ट्रस्ट को बनाया है। केवल अपना व्यापार और बिजनेस चलाने के लिए दे दो राम, दिला दो राम वाला हाल किए हैं।
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