बस्ती जिले के डाक बंगले में बीते शुक्रवार को हुए विवाद में एक नया मोड़ आ गया है। निषाद पार्टी के विधायक अनिल त्रिपाठी ने उप महानिरीक्षक (DIG )बस्ती रेंज और प्रमुख सचिव गृह को पत्र लिखकर घटना की निष्पक्ष जांच की मांग की है। विधायक ने रमेश पांडेय को निर्दोष बताया है। जबकि FIR में रमेश पांडेय पर ही गंभीर आरोप लगे है । रमेश चंद्र पांडेय पर सरकारी गेस्ट हाउस में पिस्टल लेकर प्रदर्शन करने धमकाने, अपहरण की कोशिश और मारपीट का आरोप लगाया गया । वहीं, कोतवाली पुलिस ने सूरज सिंह सोमवंशी की तहरीर पर FIR दर्ज किया है। फिलहाल मामला मारपीट का नहीं बल्कि स्थानीय वर्चस्व की लड़ाई का भी माना जा रहा है।
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क्या है मामला
14 जून यानि शुक्रवार को बस्ती जिले के पीडब्ल्यूडी डाक बंगले में कुछ वीआईपी और अधिकारियों के बीच एक कमरे में बैठक चल रही थी। इस दौरान सूरज सिंह सोमवंशी और ठेकेदार रमेश चंद्र पांडेय भी आए थे। दोनों के बीच बगल के कमरे में किसी फर्म को टेंडर दिलाने की बात हुई थी। जिसके एवज में रुपए की डिमांड की गई थी । टेंडर नहीं मिलने पर दोनों के बीच विवाद गहरा गया। इसी बात को लेकर दोनों पक्षों में मारपीट और शोर-शराबा हो रहा था। चर्चा है कि इसी दौरान बीच बचाव करने के लिए वीआईपी भी मौके पर पहुंचे थे। सूचना पर कुछ ही देर में पुलिस के अधिकारी और उनकी टीम पहुंच गई। पुलिस ने घटनास्थल का निरीक्षण किया। शुक्रवार रात अचानक पीडब्ल्यूडी के डॉक बंगले में हुई इस घटना से सनसनी फैल गई। अब बस्ती कोतवाली पुलिस ने सूरज सिंह सोमवंशी की तहरीर पर रमेशचंद्र पांडेय और उनके दो सहयोगियों के खिलाफ अपहरण व हत्या के प्रयास का मुकदमा दर्ज कर लिया है। आरोपी रमेश चंद्र पांडेय संतकबीर नगर के बड़े ठेकेदार हैं।
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निषाद पार्टी के विधायक अनिल त्रिपाठी ने सूरज सिंह को बताया ठेकेदारों का सौदेबाज
इधर, निषाद पार्टी के विधायक अनिल त्रिपाठी ने प्रमुख सचिव गृह और DIG बस्ती रेंज को पत्र लिखकर घटना की निष्पक्ष जांच की मांग की है। विधायक अनिल त्रिपाठी ने ठेकेदार रमेश चंद्र पांडेय को निर्दोष बताया है। पत्र में लिखा कि सूरज सिंह खुद को एमएलसी प्रतिनिधि बताता है और पीडब्ल्यूडी, नगर विकास, सिंचाई विभाग आदि के ठेकेदारों से ठेका दिलाने की सौदेबाजी करता है। पीडब्ल्यूडी के डाक बंगले में बिना किसी अनुमति के अनाधिकृत रूप से और शुल्क जमा किए बिना वह कैसे ठहरता है। लगातार डाक बंगले पर उसकी उपस्थिति कैसे हो रही है। 22 मार्च को दिशा की बैठक में भी वह एमएलसी प्रतिनिधि के रूप में शामिल हुआ है। यह ठेकेदारों एवं व्यवसायियों को डराकर शोषण करने के लिए इस तरह का काम करता है। उन्होंने जांच कराने की मांग की है।
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दोनों माननीयों के वर्चस्व की मानी जा रही लड़ाई
वहीं, अब यह लड़ाई दोनों सत्ताधारी दलों के माननीयों के वर्चस्व की मानी जा रही है। चूंकि, विधायक अनिल त्रिपाठी अब ठेकेदार रमेश चंद्र पांडेय के मामले में खुलकर सामने आ गए हैं। जबकि, दूसरे पक्ष से एमएलसी सुभाष यदुवंश के दबाव में पुलिस ने पहले ही रमेश चंद्र पांडेय के विरुद्ध केस दर्ज किया है। यह बात अब देखने वाला होगा कि दोनों की पेशबंदी में जीत किसकी होगी। मामले में पुलिस का अगला कदम क्या होगा!
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