एनआरआई दंपति ने महाकुंभ स्नान के लिए गोरखपुर का रास्ता चुना

मुकेश कुमार संवाददाता, गोरखपुर। प्रयागराज में महाकुंभ का आकर्षण इतना प्रबल हो चुका है कि देश-विदेश से सनातनी किसी न किसी तरह से संगम तट पर आकर त्रिवेणी के पावन जल में आस्था की डुबकी लगाना चाह रहे हैं। अब तक 60 करोड़ से अधिक श्रद्धालु संगम में स्नान कर चुके हैं, जो कई देशों की कुल आबादी से भी अधिक है। इतनी विशाल व्यवस्था के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी की जितनी सराहना की जाए, कम है। इतने बड़े जनसमूह को संगठित रूप से कुंभ में स्नान कराना किसी चमत्कार से कम नहीं है।
गोरखपुर बना एनआरआई दंपति का मार्ग
अमेरिका में रहने वाले एनआरआई श्री रामविलास जी और उनकी पत्नी श्रीमती सुनीता तंवर महाकुंभ में स्नान करने की प्रबल इच्छा रखते थे। हालांकि, उनकी ट्रेन निरस्त हो जाने से उनके लिए प्रयागराज पहुंचना कठिन हो गया था। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और एक नया मार्ग खोजा—उन्होंने बैंगलोर से हवाई मार्ग द्वारा गोरखपुर पहुंचने का निर्णय लिया और वहां से टैक्सी द्वारा प्रयागराज के लिए रवाना हुए।
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डॉ. शिव शंकर शाही का सहयोग
इस कठिन यात्रा में शाही ग्लोबल हॉस्पिटल के निदेशक डॉ. शिव शंकर शाही ने उनकी मदद की। डॉ. शाही पहले भी सैकड़ों श्रद्धालुओं और चिकित्सकों को महाकुंभ में संगम स्नान करवा चुके हैं। उनका कहना है कि “ऐसे पुण्य कार्य में सहयोग करना मेरे लिए अपार संतुष्टि का विषय है।”
सनातन संस्कृति की एकता का प्रतीक महाकुंभ
महाकुंभ का आयोजन केवल एक धार्मिक उत्सव नहीं, बल्कि सनातन संस्कृति की अखंडता और एकता का परिचायक है। नेत्रकुंभ से लेकर संगम स्नान तक, श्रद्धालुओं की अपार भागीदारी ने यह सिद्ध कर दिया कि सनातनी किसी जात-पात, ऊँच-नीच, क्षेत्रवाद या सीमाओं में बंटे नहीं हैं। अमेरिका से आए एनआरआई भी इसका सजीव उदाहरण हैं।
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संगम तट पर श्रद्धालुओं का अपार जनसैलाब
महाकुंभ में श्रद्धालुओं की संख्या इतनी अधिक हो चुकी है कि संगम तट अब छोटा पड़ता महसूस हो रहा है। अभी भी करोड़ों श्रद्धालु स्नान के इच्छुक हैं, लेकिन ट्रेन, बस और हवाई यातायात की सीमित क्षमता और संगम क्षेत्र की भौगोलिक सीमाओं के कारण यह संभव नहीं हो पा रहा है।
जो नहीं पहुंच सके, उनके लिए विशेष संदेश
जो श्रद्धालु कुंभ के दौरान संगम में स्नान नहीं कर सके, उनसे निवेदन है कि वे घर पर ही गंगाजल से स्नान कर लें और बाद में कभी भी संगम पहुंचकर मां गंगा, मां सरस्वती और मां यमुना से क्षमा याचना कर लें। अत्यधिक भीड़ से किसी भी प्रकार की अनहोनी न हो, इसके लिए संतुलन बनाए रखना आवश्यक है।
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महाकुंभ न केवल सनातन संस्कृति की आस्था का संगम है, बल्कि विश्व का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन भी है, जहां हर सनातनी का दिल धड़कता है और आत्मा परमात्मा से मिलने को आतुर होती है।
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