उत्तर प्रदेश पुलिस विभाग के तकरीबन एक हजार सिपाहियों ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में केंद्र और राज्य सरकार के फैसले को चुनौती दी है। दरअसल, सिपाहियों ने याचिका दायर करते हुए पुरानी पेंशन नीति को बहाल करने की मांग की है। इस याचिका पर सुनवाई करते हुए तो न्यायाधीशों ने मामले में केंद्र और राज्य सरकार के साथ साथ पुलिस अधिकारियों से भी जबाव मांगा है।
याचिका में कहा गया ये
जानकारी के मुताबिक, इलाहाबाद हाईकोर्ट में सिपाहियों की तरफ से याचिका दायर करने वाले सीनियर एडवोकेट विजय गौतम का तर्क है कि केंद्र सरकार द्वारा पारित निर्णय के क्रम में यूपी सरकार द्वारा वर्ष 2005 में नई पेंशन योजना लाना संविधान के प्रावधानों के प्रतिकूल होने के कारण असंवैधानिक है। उन्होंने कोर्ट से इस नीति को असंवैधानिक करार देने की मांग की।
उन्होंने इस नई पेंशन नीति को चुनौती देते हुए कहा कि यह स्कीम अनुच्छेद 21,14,16 व 39 के विपरीत होने के कारण असंवैधानिक है। बता दें कि मथुरा, आगरा, हापुड़, गौतम बुद्ध नगर, मेरठ, गाजियाबाद, कानपुर नगर, प्रयागराज, वाराणसी, गोरखपुर व बरेली में तैनात कांस्टेबलों की नियुक्ति सपा शासनकाल में हुई थी। इनकी नियुक्ति को बाद में बसपा शासनकाल में निरस्त कर दिया गया था। इन कांस्टेबलों को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सेवा में बहाल किया गया था।
चार हफ्तों में मांगा गया जबाव
इसके साथ ही एडवोकेट द्वारा दाखिल याचिका में ये भी कहा गया है कि सरकार ने उन्हें पुरानी पेंशन का लाभ न देकर कानूनी भूल की है। दो न्यायाधीशों की खंडपीठ ने याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए केंद्र व राज्य सरकार और पुलिस विभाग के उच्चाधिकारियों समेत डीजीपी मुख्यालय से चार सप्ताह में जवाब मांगा है।
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