उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार अवैध घुसपैठियों पर ताबड़तोड़ कार्रवाई कर रही है. यूपी एटीएस ने अब तक देश में सबसे ज्यादा 15 रोहिंग्याओं को गिरफ्तार किया है. यूपी के बाद अब अवैध घुसपैठियों के खिलाफ पश्चिम बंगाल से भी आवाज उठने लगी है. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में पश्चिम बंगाल की सामाजिक कार्यकर्ता संगीता चक्रवर्ती ने जनहित याचिका दायर कर गुहार लगाई है कि घुसपैठियों (Rohingya and Bangladeshi) की पहचान कर सरकार रिपोर्ट दे और साल भर के भीतर उन्हें उनके वतन वापस भेजा जाए. संगीता की तरफ से यह याचिका बीजेपी नेता और वरिष्ठ अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय (Ashwini Upadhyay) ने दायर की है.
याचिका में कहा गया है कि पश्चिम बंगाल की राज्य सरकार और केंद्र सरकार को निर्देश दिया जाए कि एक साल के अंदर से तमाम घुसपैठियों की तलाश कर, उन्हें हिरासत में लिया जाए और देश से निर्वासित किया जाए. याचिका में इस स्थिति के लिए जिम्मेवार लोगों को दंडित करने की मांग की गई है. साथ ही ऐसे दोषियों को सजा दे कर भविष्य में ऐसी स्थिति से बचाव की व्यवस्था करने को भी कहा गया है. इसमें मांग की गई है कि ऐसे अवैध घुसपैठियों की मदद करने वाले सरकारी कर्मचारी, पुलिस कर्मी, सशस्त्र बलों के कर्मियों की पहचान की जाए और उनकी सपत्ति को जब्त किया जाए.
ऐसे लोगों के साथ ही उन ट्रैवल एजेंट या दलालों के खिलाफ भी खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एनएसए) लगाने की सिफारिश की गई है, जिन्होंने राशन कार्ड, आधार कार्ड, पैन कार्ड या वोटर कार्ड बनाने में इनकी मदद की हो. ऐसे लोगों की भी पूरी अवैध संपत्ति को जब्त करने का प्रावधान करने की अपील की गई है. ऐसे मामलों पर आसानी से कार्रवाई हो सके इसे सुनिश्चित करे के लिए याचिकाकर्ता ने मांग की है कि भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) में इसके लिए प्रावधान किया जाए. अवैध तरीके से देश में घुसने के अपराध को संज्ञेय और गैर जमानती घोषित किया जाए.
याचिका के मुताबिक विधि आयोग की 175वीं रिपोर्ट में साफ कहा गया है कि अवैध घुसपैठिए लोकतंत्र और देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए खतरा हैं. याचिका में दावा किया गया है कि पश्चिं बंगाल में हुए ताजा विधानसभा चुनाव के बाद राज्य में हिंसा बहुत बढ़ गई है और इसमें रोहिंगिया और बांग्लादेशी घुसपैठियों का हाथ है. ये लोग लगातार मारपीट और लूट-पाट की घटनाओं में शामिल हो रहे हैं. साथ ही हिंदू परिवारों को निशाना बना रहे हैं. इसमें हिंसा का शिकार हुए परिवारों का हवाला भी दिया गया है.
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