उत्तर प्रदेश की पुलिस भर्ती में बड़ी लापरवाही का मामला सामने आया है. जहां पुलिस भर्ती के लिए युवा जीतोड़ मेहनत कर रहे है तो वहीं पुलिस सिस्टम की गड़बड़ी उन युवाओं की उम्मीदों पर पानी फेरने का काम कर रही है. पिछले साल 14 जनवरी 2018 को सिपाही के 41,520 पदों के लिए निकली भर्ती में जो शर्तें रखी गई थीं. उनमें एक शर्त यह भी थी कि अभ्यर्थी की उम्र 18 वर्ष से 22 वर्ष तक होनी चाहिए थी. यानी अभ्यर्थी की जन्मतिथि 1 जुलाई 2000 से पूर्व की और 2 जुलाई 1996 के बाद की होनी चाहिए. वहीं महिलाओं के लिए उम्र सीमा 25 वर्ष थी. महिलाओं की जन्मतिथि 2 जुलाई 1993 से पूर्व की नहीं होनी चाहिए थी. इसके अतिरिक्त होमगार्ड कोटे और भूतपूर्व सैनिकों के लिए आयु वर्ग में छूट दी गई थी. लेकिन, अनारक्षित श्रेणी में ऐसे अभ्यर्थियों का चयन कर लिया गया. जिनकी उम्र निर्धारित मानकों से अधिक थी. हालांकि यहां पूरा मामला ही उल्टा-पुल्टा हो गया.
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रिजल्ट आने के बाद सामने आई गड़बड़ी
यूपी पुलिस भर्ती बोर्ड ने 18 फरवरी को 41,520 पदों पर के लिए सिपाही भर्ती का रिजल्ट जारी किया था. रिजल्ट घोषित होने के कुछ ही दिन बाद पहली गड़बड़ी सामने आई जब होमगार्ड के कोटे से 21 साल से कम आयु वाले 165 अभ्यर्थियों को सिपाही बनने का मौका दे दिया गया. इस कोटा के लिए कम से कम 3 साल होमगार्ड की सेवा करना अनिवार्य था. इन सभी अभ्यर्थियों की आयु 21 वर्ष से कम थी, इसलिए इनका चयन भर्ती बोर्ड ने निरस्त कर दिया. इसके अलावा होमगार्ड कोटे से भर्ती हुए 232 अन्य अभ्यर्थियों को दस्तावेजों के सत्यापन और शारीरिक मानक परीक्षण (डीवी पीएसटी) के लिए मंगलवार को दोबारा बुलाया गया. मंगलवार को सभी अभ्यर्थी नहीं आए. अब इन्हें बुधवार को दोबारा सभी दस्तावेजों के साथ बुलाया गया है.
सत्यापन करने वाला डीवी पीएसटी बोर्ड अंधा था क्या?
बता दें सिपाही भर्ती के लिए अभ्यर्थियों को 4 प्रक्रिया से गुजरना होता है. फॉर्म भरने के बाद लिखित परीक्षा, दस्तावेजों का सत्यापन, शारीरिक मानक परीक्षा और शारीरिक दक्षता परीक्षा (दौड़). फॉर्म भरने के बाद पहले ही ऐसे अभ्यर्थियों की छंटनी होनी चाहिए थी, जिनकी आयु नियमों के तहत नहीं है, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. अभिलेखों का सत्यापन करने वाले डीवी पीएसटी बोर्ड को इस गलती को पकड़ना चाहिए था लेकिन वहां भी किसी की निगाह ऐसे अभ्यर्थियों पर नहीं पड़ी. अब इसे सिस्टम की चूक कहें या फिर अधिकारियों की लापरवाही या फिर जल्दबाजी का नतीजा, पुलिस भर्ती बोर्ड ने मानकों के विपरीत निर्धारित मानकों के उलट अधिक उम्र के युवाओं को भी सिपाही बनने का मौका दे दिया.
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मनमानी तरीके से भर्ती करने का मामला, होगी जांच
उत्तर प्रदेश पुलिस भर्ती एवं प्रोन्नति बोर्ड की वेबसाइट पर जारी परिणाम से तो यही नजर आ रहा है. भर्ती नियमावली को दरकिनार कर मनमाने तरीके से भर्ती किए जाने का यह अपने आपमें अलग तरह का मामला है. इस मामले पर भर्ती बोर्ड के चेयरमैन राजकुमार विश्वकर्मा का कहना है कि इसकी जांच कराई जाएगी. उसके बाद ही अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र दिया जाएगा. विश्वकर्मा का कहना है कि नियुक्ति पत्र देने से पहले भी जिलों में दस्तावेजों की जांच होती है. अभ्यर्थियों का दस्तावेज जांच के बाद संबंधित जिलों को ही भेजा जाता है. ऐसे में अगर नियम के खिलाफ कोई भी तथ्य पाए जाते हैं तो जिला स्तर पर संबंधित अभ्यर्थी को नियुक्ति पत्र नहीं दिया जाएगा और उसका चयन स्वत: ही निरस्त हो जाएगा.
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