न विभाग से लगाई गुहार काम आयी और न हीं कोई दुआ, नहीं रहीं महिला सिपाही रूपल सिसोदिया

एक कहावत है ‘मनुज नहीं समय होत बलवान’, परिस्थिति को जिम्मेदार ठहराइए या नियति पर छोड़कर आगे बढ़ जाइए लेकिन इसके बीच जिंदगी और मौत के बीच वो लड़ाई दिखी जो फर्ज की खातिर हो, परिवार की खातिर या उस कांस्टेबल पति की खातिर हो जिसने उसकी सलामती के लिए मंदिर से लेकर विभाग तक हर जगह हाथ फैलाने में कोई कसर नहीं छोड़ी. वो अंतिम साँस तक लड़ी लेकिन समय पर किसी का भी वश नहीं होता और सांसो के साथ छोड़ते ही उसकी ये जंग भी वहीं ख़त्म हो गयी.


रूपल सिसोदिया

बता दें कि मुरादाबाद जिले के सिविल लाइन थाने में तैनात महिला सिपाही रूपल सिसोदिया काफी दिन से अस्पताल में जिंदगी से जंग लड़ रही थी. बीते कुछ महीने पहले महिला सिपाही रूपल का किसी बीमारी की वजह से ऑपरेशन किया गया था. लेकिन ऑपरेशन के दौरान लापरवाह डॉक्टरों ने उनकी कोई गलत नस काट दी थी.


बताया जा रहा है कि गलत नस कटने की वजह से महिला सिपाही के शरीर में इंफेक्शन फैलने लगा था, जो कि उनके ब्रेस्ट तक पहुंच गया. ऐसे में सिपाही ध्रव कुमार तोमर ने अपने पत्नी का इलाज कराने के लिए उन्हें नोएडा के फोर्टिस अस्पताल में भर्ती कराया, जहां महिला सिपाही रूपल का इलाज चल रहा था.


सूत्रों का कहना है कि फोर्टिस अस्पताल की सेवाएं काफी महंगी थी और महिला सिपाही का इलाज फोर्टिंस के अलावा और कहीं नहीं हो सकता था. सूत्रों ने यह भी बताया कि सिपाही पति चाहता था कि उसकी पत्नी का इलाज एम्स हॉस्पिटल में हो, लेकिन किसी तरह का ऊंची पहुंच नहीं होने की वजह से उसे मजबूरन यहाँ इलाज कराना पड़ा.


बता दें कि फोर्टिस अस्पताल में महिला सिपाही के इलाज के लिए रोजाना एक से डेढ़ लाख रुपए का खर्च आ रहा था . ऐसे में सिपाही पति अपने विभाग से सहायता की गुहार लगा रहा था. महिला सिपाही की सलामती के लिए सोशल मीडिया पर भी लोगों ने खूब दुवाएं मांगी लेकिन नियति को शायद कुछ और ही मंजूर था.


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