UP का बेटा बनेगा MP का नाथ, कभी जेल में बंद संजय गांधी को कंपनी देने के लिए जानबूझकर किया था अपराध

मध्य प्रदेश में कांग्रेस के लिए 15 साल का सत्ता का खत्म होने जा रहा है. कांग्रेस के दिग्गज नेता कमलनाथ को राज्य की कमान सौंपी गयी है. मुख्यमंत्री पद के लिए कमलनाथ को ज्योतिरादित्य सिंधिया ने बेहद कड़ी टक्कर दी, लेकिन अध्यक्ष राहुल गाँधी ने कमलनाथ के नाम पर मुहर लगायी. आइये जानते हैं कौन हैं मध्य प्रदेश के नए मुख्यमंत्री कमलनाथ.

 

कानपुर में जन्म, शाहजहांपुर में ससुराल 

मध्य प्रदेश में के कद्दावर नेताओं में शुमार कमलनाथ का जन्म 8 नवंबर 1946 को उत्तर प्रदेश के कानपुर में हुआ था. कमलनाथ की स्कूली पढ़ाई मशहूर दून स्कूल से हुई. दून स्कूल में उनकी जान पहचान कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे संजय गांधी से हुई. दून स्कूल से पढ़ाई करने के बाद कमलनाथ ने कोलकाता के सेंट जेवियर कॉलेज से बी.कॉम में स्नातक किया. 27 जनवरी 1973 को कमलनाथ शाहजहांपुर की अलका नाथ के साथ शादी के बंधन में बंधे. कमलनाथ के दो बेटे हैं. उनका बड़ा बेटा नकुलनाथ राजनीति में सक्रिय हैं.

 

1980 में 34 साल की उम्र में पहली बार बने सांसद 

कमलनाथ 9 बार लोकसभा के लिए चुने जा चुके हैं. वह साल 1980 में 34 साल की उम्र में छिंदवाड़ा से पहली बार चुनाव जीते जो अब तक जारी है. मध्यप्रदेश की राजनीति को नजदीक से देखने वाले कई विश्लेषक ये दावा करने में जुट गए हैं कि ये करिश्मा मौजूदा समय में मध्यप्रदेश में केवल और केवल  कमलनाथ के बूते की बात थी, जो उन्होंने कर दिखाया.

 

 

महज सात महीने पहले उन्होंने मध्यप्रदेश कांग्रेस का प्रभार संभाला और इसके बाद राष्ट्रीय स्वयंसेवक के गढ़ और हिंदुत्व की राजनीति के केंद्र रहे मध्यप्रदेश में नरेंद्र मोदी-अमित शाह की रणनीति के साथ साथ लोकलुभावन नीतियों के चलते बेहद लोकप्रिय शिवराज सिंह चौहान को पटखनी दे दी.

 

इस रणनीति से चटाई भाजपा को धूल

26 अप्रैल, 2018 को मध्य प्रदेश का प्रभार संभालने के बाद जब कमलनाथ ने भोपाल में अपना डेरा डाला तो सबसे पहले उन्होंने पार्टी कार्यालय की सूरत संवारी. नए सिरे से इमारत का रंग रोगन हुआ और साथ में संजय गांधी की तस्वीर भी लगवाई. मोटा आकलन ये भी लगाया जा रहा है कि मध्य प्रदेश के चुनाव में करीब तीन चौथाई संसाधनों की व्यवस्था कमलनाथ ने ही जुटाई. ये भी एक बड़ी वजह है कि उन्हें प्रदेश की कमान सौंपने की तैयारी हो रही है ताकि 2019 के निर्णायक चुनाव के लिए तैयारियों के लिए संसाधनों की कोई कमी नहीं रह जाए. वैसे कमलनाथ की क्षमता और काबिलियत को लेकर उनके विरोधी भी संदेह नहीं रखते, ये बात दूसरी है कि कमलनाथ खुद को बड़ा ही लो प्रोफाइल रखते आए हैं. वरना गांधी परिवार से निकटता, पूरे पचास साल का राजनीतिक जीवन और खुद का अरबों का कारोबारी साम्राज्य, उन्हें हरवक्त चर्चा में बनाए रखने के लिए कम नहीं हैं.

 

पढ़ाई के दौरान हुई संजय गाँधी से दोस्ती 

दरअसल, कमलनाथ संजय गांधी के स्कूली दोस्त थे, दून स्कूल से शुरू हुई दोस्ती, मारुति कार बनाने के सपने के साथ-साथ युवा कांग्रेस की राजनीति तक जा पहुंची थी. पत्रकार विनोद मेहता ने अपनी किताब संजय गांधी – अनटोल्ड स्टोरी में लिखा है कि यूथ कांग्रेस के दिनों में संजय गांधी ने पश्चिम बंगाल में कमलनाथ को सिद्धार्थ शंकर रे और प्रिय रंजन दासमुंशी को टक्कर देने के लिए उतारा था.

 

 

इतना ही नहीं जब इमरजेंसी के बाद संजय गांधी गिरफ्तार किए गए तो उनको कोई मुश्किल नहीं हो, इसका ख्याल रखने के लिए जज के साथ बदतमीजी करके कमलनाथ तिहाड़ जेल भी पहुंच गए थे. इन वजहों से वे इंदिरा गांधी की गुड बुक्स में आ गए थे, 1980 में जब पहली बार कांग्रेस ने उन्हें मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा से टिकट दिया था.

 

 

इंदिरा मानती थीं तीसरा बेटा 

उनके चुनाव प्रचार में इंदिरा गांधी ने अपने भाषण में कहा था कि “मैं नहीं चाहती कि आप लोग कांग्रेस नेता कमलनाथ को वोट दीजिए. मैं चाहती हूं कि आप मेरे तीसरे बेटे कमलनाथ को वोट दें”.

 

 

कमलनाथ भी इंदिरा गाँधी को अपनी माँ समान सम्मान और आदर देते थे. परिवार के हर सुख और दुःख में हमेशा साथ खड़े रहते थे. यहां तक इंदिरा गाँधी की मृत्यु के बाद कमलनाथ ने उनकी अंतिम यात्रा में उन्हें कंधा भी दिया था.

 

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