लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद कांग्रेस की राजस्थान इकाई में सब कुछ ठीक नहीं दिख रहा है. पार्टी के अंदर की गुटबाजी और लड़ाई उस वक्त सतह पर आ गई जब राज्य के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि पीसीसी चीफ और डिप्टी सीएम सचिन पायलट को उनके बेटे वैभव की हार की जिम्मेदारी लेनी चाहिए.
अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार सचिन पायलट ने गहलोत की टिप्पणी पर कोई टिप्पणी करने से मना कर दिया हालांकि उन्होंने सीएम गहलोत के बयान पर अचरज जाहिर किया. एक निजी टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में गहलोत से पूछा गया कि क्या यह बात सच है कि जोधपुर सीट से वैभव को टिकट दिलाने के लिए पायलट ने ही सलाह दी थी? इस पर गहलोत ने कहा कि अगर पायलट ने ऐसा किया तो यह अच्छी बात है. इससे हम दोनों के बीच मतभेद की खबरें खारिज हो जाती है.
गहलोत ने कहा, मुझसे पायलट ने कहा था कि हम जोधपुर जीत रहे थे. उन्होंने जोधपुर से टिकट लिया, लेकिन हम सभी 25 सीट हार गए. इसलिए यदि कोई कहता है कि सीएम या पीसीसी चीफ को इसकी जिम्मेदारी लेनी चाहिए. मेरा मानना है कि यह एक सामूहिक जिम्मेदारी है. हार की जिम्मेदारी हर किसी को लेनी चाहिए. गहलोत ने कहा ठीक इस हार के विपरीत सोचें यदि कोई जीतता है सब श्रेय मांगते हैं, लेकिन यदि कोई हारता तो कोई जिम्मेदारी नहीं लेता. चुनाव सामूहिक नेतृत्व में पूरे हुए हैं.
गौरतलब है कि केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने वैभव गहलोत को करीब 4 लाख वोटों के अंतर से हराया है. यहां तक कि गहलोत की विधानसभा सीट सारदापुरा से भी वैभव 19000 वोटों से पीछे रहे. जबकि गहलोत 1998 से वहां से जीतते आ रहे हैं. गहलोत का इस सीट से हारना इसलिए भी चौंकाने वाला है, क्योंकि गहलोत वहां से 5 बार चुनकर संसद पहुंच चुके हैं. बता दें कि गहलोत ने इस चुनाव में कुल 130 रैलियां की थी. जिनमें से 97 रैलियां सिर्फ जोधपुर सीट पर अपने बेटे के लिए की थी. इसी बात पर CWC की बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने नाराजगी जाहिर करते हुए पुत्रमोह वाला बयान दिया था.
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