राकेश प्रताप vs मोनू सिंह: गौरीगंज की गद्दी किसके नाम?

उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) की सियासत में 2027 का विधानसभा चुनाव एक महासंग्राम होने जा रहा है और इस रणक्षेत्र का सबसे रोमांचक मोर्चा है अमेठी (Amethi) की गौरीगंज सीट! अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में जोरदार ऐलान कर दिया ‘लिख लो कागज पर, समाजवादी सरकार आ रही है!’ बस, फिर क्या था? सपा के कार्यकर्ताओं में जोश का ज्वार आ गया। और इसी जोश में एक नाम जोर-जोर से गूंज रहा है – यशभद्र सिंह (Yashbhadra Singh) उर्फ मोनू सिंह! पूर्व ब्लॉक प्रमुख, सुल्तानपुर के बाहुबली, और युवाओं के चहेते। कहा जा रहा है कि मोनू सिंह (Monu Singh) समाजवादी पार्टी के टिकट पर गौरीगंज सीट (Gauriganj Seat) से चुनाव लड़ेंगे। वहीं, दूसरी तरफ, BJP के लिए उम्मीदवार का सवाल अभी सस्पेंस बना हुआ है। सवाल ये है कि क्या भाजपा (BJP) राकेश प्रताप सिंह (Rakesh Pratap Singh) मौका देगी या कोई नया चेहरा सामने आएगा।

गौरीगंज की सीट पर 2022 में सपा के दमदार विधायक राकेश प्रताप सिंह ने कमाल कर दिया था। तीन बार विधायक रह चुके ये योद्धा सपा की साइकिल पर सवार होकर जीते, लेकिन 2023 में राज्यसभा चुनाव में क्रॉस-वोटिंग कर दी। अखिलेश का गुस्सा फूट पड़ा – बिना नोटिस के बाहर का रास्ता दिखा दिया! 22 साल पुराना रिश्ता टूट गया। राकेश ने कहा, ‘मैं तो इस्तीफा देना चाहता था, लेकिन रोका गया।’ फिर क्या, जून 2025 में राकेश प्रताप सिंह गौरीगंज लौटे तो हजारों गाड़ियों का काफिला, जोरदार स्वागत! अखिलेश और रामगोपाल पर भड़ास निकाली ‘सपा जातिवादी हो गई!’

अब राकेश प्रताप सिंह निर्दलीय विधायक हैं, लेकिन 2027 में क्या करेंगे? BJP में शामिल होकर वापसी? या फिर निर्दलीय लडेंगे? कहा जा रहा है कि वो BJP के साथ गठजोड़ कर गौरीगंज में वापसी की जुगत में हैं। उनका स्थानीय नेटवर्क और समर्थकों का भौकाल अभी भी कायम है। अगर BJP उन्हें टिकट देती है, तो गौरीगंज में सपा के लिए कांटे की टक्कर होगी। लेकिन अगर BJP कोई नया चेहरा लाती है, तो राकेश निर्दलीय भी मैदान में उतर सकते हैं। कुल मिलाकर, राकेश का भविष्य गौरीगंज की सियासत में एक बड़ा फैक्टर रहेगा।

उधर, समाजवादी पार्टी ने राकेश प्रताप सिंह को बाहर कर दिया तो गौरीगंज में नया चेहरा चाहिए और वो चेहरा है यशभद्र सिंह उर्फ मोनू सिंह का! सुल्तानपुर, अमेठी, रायबरेली और अंबेडकरनगर की सियासी बेल्ट में मोनू का नाम किसी परिचय का मोहताज नहीं। उनके बड़े भाई सोनू सिंह के साथ मिलकर उन्होंने परिवार की राजनीतिक विरासत को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया है। पिता की हत्या के बाद भी ये भाई जोड़ी डटी रही। 2012 और 2017 में मोनू इसौली से बसपा और RLD के टिकट पर चुनाव लड़े, लेकिन जीत नसीब नहीं हुई। मई 2024 में सोनू-मोनू ब्रदर्स ने सपा का दामन थामा, और तब से सियासी गलियारों में हलचल मची है।

पत्रकारों से बातचीत में जब गौरीगंज सीट पर सवाल उठा, तो मोनू ने साफ कह दिया कि तैयारी बड़े भाई सोनू की सुल्तानपुर के लिए है, लेकिन अगर राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव का आदेश हुआ, तो एक मिनट नहीं रुकेंगे। सुबह-सुबह काफिला गौरीगंज रवाना!’ मौजूदा विधायक के भौकाल पर मोनू का जवाब था कि हमारा काफिला कभी कमजोर नहीं पड़ा। बस अखिलेश जी का इशारा चाहिए। परिसीमन के बाद इसौली के समीकरण बिगड़ गए, इसलिए सपा अब मोनू को गौरीगंज में उतारने की रणनीति बना रही है। स्थानीय कार्यकर्ताओं और युवाओं में मोनू के लिए जबरदस्त मांग है। अगर अखिलेश हरी झंडी दिखाते हैं, तो 2027 में गौरीगंज में सपा का तूफान देखने को मिल सकता है।

भाजपा ने अभी 2027 के लिए गौरीगंज से उम्मीदवार का ऐलान नहीं किया है, क्योंकि चुनाव अभी दो साल दूर हैं। लेकिन लोकसभा और उपचुनावों के बाद साफ है कि भाजपा हर सीट पर किलेबंदी में जुटी है। गौरीगंज में राकेश प्रताप सिंह का अनुभव और नेटवर्क भाजपा के लिए फायदेमंद हो सकता है। अगर राकेश भाजपा में शामिल होते हैं, तो वो सपा को कड़ी टक्कर देंगे। दूसरी संभावना ये है कि भाजपा कोई नया चेहरा लाए, जैसे कोई स्थानीय ठाकुर या ब्राह्मण नेता, जो योगी सरकार की योजनाओं और ‘डबल इंजन’ के नारे को भुनाए। लेकिन मोनू सिंह की एंट्री ने भाजपा की रणनीति पर सवालिया निशान लगा दिया है। सुल्तानपुर-अमेठी बेल्ट में सपा का दबदबा बढ़ा, तो गौरीगंज भाजपा के हाथ से फिसल सकता है।

आंकड़ों की मानें तो अमेठी की गौरीगंज सीट पर दलित और ब्राह्मण वोटरों की सबसे ज्यादा संख्या है। इस सीट पर ब्राह्मण- 90600, दलित- 48500, क्षत्रिय-46000, यादव- 35588, पिछड़ा वर्ग- 51000, मुस्लिम- 35000, वैश्य- 22000, कायस्थ- 12000 और अन्य जाति से 6000 वोटर हैं। राकेश प्रताप के खिलाफ बीजेपी से ब्राह्मण चेहरे ही अभी तक चुनाव लड़ते रहे हैं। बीजेपी 2027 में अगर उन्हें टिकट देती है तो इस सीट पर ब्राह्मण समुदाय का वोट छिटक सकता है।

फिलहाल…गौरीगंज का रणक्षेत्र तैयार है। अगर मोनू सिंह सपा के टिकट पर उतरते हैं, तो उनका काफिला, युवाओं का जोश और अखिलेश का आशीर्वाद गौरीगंज को साइकिल की सवारी करा सकता है। लेकिन BJP की रणनीति और राकेश प्रताप सिंह का अगला कदम इस जंग को और रोमांचक बनाएगा। आप क्या सोचते हैं? क्या राकेश प्रताप सिंह बीजेपी के सीट पर गौरीगंज में कमल खिलाएंगे या फिर मोनू सिंह सपा का परचम लहराएंगे?

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