भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने मौद्रिक नीति समिति (MPC) की ताज़ा समीक्षा बैठक के बाद एक बड़ा कदम उठाया है। बैंक ने रेपो रेट में एकमुश्त 50 आधार अंकों यानी 0.50 प्रतिशत की कटौती की घोषणा की है। इस निर्णय के बाद कर्ज पर ब्याज दरों में गिरावट की उम्मीद जताई जा रही है, जिससे आम लोगों को राहत मिल सकती है।
6 महीनों में तीसरी बार घटा रेपो रेट
गवर्नर संजय मल्होत्रा की अध्यक्षता में हुई तीन बैठकों में लगातार रेपो रेट में कटौती की गई है। फरवरी और अप्रैल 2025 की बैठकों में 0.25-0.25% की दो कटौतियों के बाद अब जून में 0.50% की कटौती के साथ पिछले छह महीनों में कुल मिलाकर 1.00% की कमी दर्ज की गई है। इस समय रेपो रेट 5.50% के स्तर पर आ चुका है।
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बैंक ग्राहकों को मिल सकता है सस्ते लोन का लाभ
विशेषज्ञों का मानना है कि इस बड़ी कटौती के बाद बैंकिंग संस्थान होम लोन, ऑटो लोन और पर्सनल लोन पर ब्याज दरों में तेज कटौती कर सकते हैं। हालाँकि, पहले की दो कटौतियों का असर पूरी तरह ग्राहकों तक नहीं पहुंच पाया था—जहाँ कुल 0.50% की कटौती हुई, वहीं बैंकों ने औसतन केवल 0.17% की राहत दी।इस बार उम्मीद की जा रही है कि बैंक दबाव में आकर अधिक राहत देंगे और उपभोक्ताओं को कर्ज सस्ता मिलेगा।
क्या होता है रेपो रेट?
रेपो रेट वह दर होती है जिस पर वाणिज्यिक बैंक, आरबीआई से अल्पकालिक ऋण लेते हैं। यदि यह दर कम होती है तो बैंकों के लिए पूंजी जुटाना सस्ता हो जाता है, जिससे वे ग्राहकों को भी कम ब्याज दर पर कर्ज दे पाते हैं। इसके विपरीत, रेपो रेट बढ़ने पर लोन महंगे हो जाते हैं।
आर्थिक विकास को मिल सकती है रफ्तार
गवर्नर मल्होत्रा ने बताया कि रेपो रेट में कटौती के परिणामस्वरूप बैंकिंग तंत्र में लगभग 2.50 लाख करोड़ रुपये की अतिरिक्त राशि प्रवाहित होगी। यह फंड बैंकों द्वारा कर्ज वितरण में इस्तेमाल किया जाएगा, जिससे व्यापार, उद्योग और उपभोग में तेजी आने की संभावना है।विशेषज्ञों का मानना है कि आरबीआई का यह कदम सरकार के तेज आर्थिक विकास को समर्थन देने की नीति का हिस्सा है।
महंगाई से भी मिलेगी राहत
जहां वैश्विक स्तर पर व्यापार युद्ध और अनिश्चितताओं के कारण विकास दर पर असर पड़ सकता है, वहीं भारत की स्थिति अभी भी मजबूत बनी हुई है। आरबीआई ने वित्त वर्ष 2025-26 के लिए आर्थिक विकास दर 6.5% रहने का अनुमान जताया है, जिससे भारत लगातार तीसरे साल विश्व की सबसे तेज़ी से बढ़ने वाली प्रमुख अर्थव्यवस्था बना रहेगा।गवर्नर के मुताबिक, रेपो रेट में कमी से महंगाई के दबाव में भी कुछ राहत मिलने की संभावना है।