भीम आर्मी के संस्थापक चंद्रशेखर रावण की समय पूर्व रिहाई ने राजनीतिक गलियारों की सरगर्मियों को बढ़ा दिया है। बीजेपी रावण की रिहाई के बाद दलित वोट बैंक को साधने की कोशिश कर रही है लेकिन चंद्रशेखर के तेवर देखकर लगता है कि कहीं भाजपा का यह दांव उल्टा न पड़ जाए। बीजेपी सरकार ने करीब 15 महीने बाद गुरुवार को चंद्रशेखर रावण को रिहा कर दिया।
दलितों को खुश करने के लिए बीजेपी की कोशिश
चंद्रशेखर की रिहाई के सरकार के फैसले के बाद यह कहा जा रहा है कि इससे बीजेपी ने दलितों को खुश करने के लिए एक नई कोशिश की है। लेकिन चंद्रशेखर रावण और उनके घर पर मौजूद स्थानीय लोगों के तेवरों को देखकर ऐसा लगता है कि बीजेपी को यह फैसला महंगा पड़ सकता है।
चंद्रशेखर रावण ने जेल से रिहा होने के बाद ही बीजेपी को लेकर तीखे तेवर दिखा दिए थे। मीडिया से मुखातिब होने के दौरान चंद्रशेखर रावण ने साफतौर पर कह दिया कि बीजेपी दलितों को उत्पीड़न कर रही है, इसलिए हमारा उससे विरोध है।
बीजेपी के इस कदम से आ रही राजनीति साजिश की बू
चंद्रशेखर रावण को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) के तहत गिरफ्तार किया गया था। जानकारी के मुताबिक, इस कानून को तीन-तीन महीने के लिए चार बार बढ़ाया गया। चंद्रशेखर को नवंबर में रिहा किया जाना था लेकिन सरकार ने उसे पहले ही रिहा कर दिया। चंद्रशेखर का कहना है कि सरकार के इस कदम के पीछे उन्हें किसी राजनीतिक साजिश की बू आ रही है।
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चंद्रशेखर के मुताबिक, सरकार को सुप्रीम कोर्ट में जवाब दाखिल करना था। सरकार को पता था कि उसे फटकार लगने वाली है। उन्होंने कहा कि रासुका को चार बार बढ़ाया जा चुका था, अब आगे वो बढ़ नहीं सकती थी। चंद्रशेखर ने कहा कि मुझे तो यह एक साजिश लग रही है और आने वाले दिनों में किसी मामले में फंसाकर फिर से मुझे जेल में न डाल दिया जाए।
सरकार ने कहा- मां के कहने पर रिहा हुआ रावण
चंद्रशेखर की रिहाई के संबंध में सरकार की ओर से जारी बयान में कहा गया कि चंद्रशेखर को उनकी मां की वजह से रिहा किया गया है क्योंकि उन्होंने इसके लिए एक प्रार्थना पत्र दिया था। लेकिन चंद्रशेखर ने बताया कि मां की अपील पर अगर सरकार को रिहा करना होता तो वो पहले ही कर देती क्योंकि ये अपील जुलाई महीने में की गई थी लेकिन अब रिहा किया जा रहा है और राजनीतिक फायदा लेने की कोशिश की जा रही है।
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सहारनपुर हिंसा और भड़काऊ पोस्ट ने पहुंचाया था जेल
बता दें कि भीम आर्मी के संस्थापक चंद्रशेखर रावण पर पिछले साल 9 मई को सहारनपुर के शब्बीरपुर गांव में हुई हिंसा और सोशल मीडिया पर भड़काऊ पोस्ट डालने के आरोप में आठ मामले दर्ज किए गए। सभी मामलो में उन्हें स्थानीय अदालत और हाईकोर्ट से जमानत मिल चुकी थी लेकिन उसके बाद उन्हें रासुका के तहत गिरफ्तार किया गया था। अब सरकार ने रासुका को निरस्त कर रावण को रिहा कर दिया है।
शब्बीरपुर में दलितों और ठाकुरों के बीच हुए हिंसक संघर्ष में गांव के प्रधान शिवकुमार समेत कुल छह लोगों को रासुका के तहत गिरफ्तार किया गया था।