कोलकाता हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाते हुए मुसलमानों के 77 समुदायों को बांटे गए ओबीसी के सर्टिफिकेट रद्द कर दिए हैं. कोर्ट के इस फैसले के बाद भाजपा ममता सरकार पर तुष्टीकरण का आरोप लगा रही है, जिसके चलते पश्चिम बंगाल में सियासी घमासान मचा हुआ है. बंगाल में ओबीसी आरक्षण पर मची सियासत के बीच यूपी से बड़ी खबर सामने आ रही है. योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) सरकार प्रदेश में ओबीसी आरक्षण में मुसलमानों (Reservation to Muslims under OBC Quota) की समीक्षा करेगी.
जानकारी के मुताबिक मुसलमानों को ये आरक्षण समाजवादी पार्टी की सरकार के दौरान मिला था, जिसकी समीक्षा अब योगी आदित्यनाथ सरकार करने जा रही है. नवभारत टाइम्स की खबर के अनुसार योगी सरकार यह पता लगाएगी आखिर किस नियम और व्यवस्था के तहत मुसलमानों को आरक्षण दिया जा रहा है.
उत्तर प्रदेश में ओबीसी को 27 फीसदी आरक्षण मिल रहा है. इस कोटे में मुसलमानों की दो दर्जन जातियों को आरक्षण दिया जा रहा है. योगी सरकार इसी आरक्षण के वैधानिकता की जांच कराएगी. जांच रिपोर्ट में जो भी आएगी उसी के मुताबिक सरकार कार्रवाई करेगी.
दरअसल, मुसलमानों में जातियों की कोई व्यवस्था नहीं है. ऐसे में सवाल उठता है कि उन्हें किस आधार पर जाति आधारित आरक्षण दिया जा रहा है. संविधान में धर्म के आधार पर आरक्षण का कोई नियम नहीं है ऐसे में मुसलमानों को किस आधार पर रिजर्वेशन दिया जा रहा है. अगर मुस्लिमों को आर्थिक आधार पर आरक्षण मिल रहा है तो उन्हें हिंदू धर्म की जनरल कैटेगरी को मिलने वाले आरक्षण के कोटे के तहत होना चाहिए. अब ऐसे में यूपी में पिछड़ा कल्याण बोर्ड इसकी जानकारी जुटा रहा है कि मुसलमानों को ओबीसी कोटे से आरक्षण किस नियम के तहत दिया जा रहा है.
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