मुकेश कुमार, संवाददाता गोरखपुर। स्मार्टव्हील से सहारा इस्टेट तक निर्माणाधीन चार किलोमीटर लंबे डबल लेन रिंग रोड से प्रभावित किसानों ने गुरुवार को जिलाधिकारी कार्यालय पर जोरदार प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन सौंपते हुए मुआवजा बढ़ाने की मांग की। किसानों का आरोप है कि गोरखपुर विकास प्राधिकरण (जीडीए) उन्हें उचित मुआवजा देने में धोखा कर रहा है। इस दौरान किसानों ने जीडीए के खिलाफ नारेबाजी भी की।
मुआवजे पर असंतोष, जीडीए पर लगाए आरोप
प्रदर्शन कर रहे किसानों का कहना है कि उनके लिए निर्धारित मुआवजा बेहद कम है और सर्कल रेट के अनुरूप भुगतान नहीं किया जा रहा। मौके पर पहुंचे प्राधिकरण के ओएसडी प्रखर उत्तम ने किसानों को समझाने की कोशिश की, लेकिन किसान अपनी मांग पर अड़े रहे।
किसानों की प्रमुख मांगें
राघवेंद्र प्रताप सिंह, विनोद यादव, सुधीर श्रीवास्तव, ओंकार निषाद, मैनेजर सिंह, रेणु सिंह, बैजनाथ पासवान, राजू सिंह, सत्यवान चंद, दुर्गेश दुबे, विशाल चंद, मनोज श्रीवास्तव, अखिलेश सिंह, जयप्रकाश नायक समेत बड़ी संख्या में महादेव झारखंडी टुकड़ा नंबर एक और राजस्व ग्राम ताल रामगढ़ के प्रभावित किसान जिलाधिकारी कार्यालय पहुंचे। उनकी मांग है कि सर्कल रेट ₹1206 प्रति वर्ग फीट के अनुसार शहरी क्षेत्र में दो गुना मुआवजा ₹2412 प्रति वर्ग फीट दिया जाए। किसानों ने यह भी कहा कि 2016 के बाद सर्कल रेट में कोई बढ़ोतरी नहीं हुई, जिससे उनके साथ अन्याय हो रहा है।
मुख्यमंत्री को ‘अभिभावक’ मानते हुए की न्याय की गुहार
संघर्ष समिति के अध्यक्ष बृजपाल सिंह ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को अभिभावक बताते हुए अपील की कि प्रभावित किसानों को सर्कल रेट का दो गुना मुआवजा ₹2412 प्रति वर्ग फीट मिलना चाहिए। लेकिन प्राधिकरण मात्र ₹370 प्रति वर्ग फीट मुआवजा दे रहा है, जो बेहद कम है।
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जीडीए का पक्ष
गोरखपुर विकास प्राधिकरण (जीडीए) के उपाध्यक्ष आनंद वर्द्धन ने बताया कि सहारा इस्टेट से स्मार्टव्हील तक बनने वाली दो लेन सड़क के लिए अब तक छह रजिस्ट्रियां हो चुकी हैं। ताल और हरित क्षेत्र की इन जमीनों के लिए जिलाधिकारी की अध्यक्षता में गठित कमेटी ने मुआवजे की धनराशि तय की है। हरित क्षेत्र में आवासीय दर पर मुआवजा नहीं दिया जा सकता। जिलाधिकारी स्तर पर इस मुद्दे पर अंतिम निर्णय लिया जाएगा।
इस प्रदर्शन के बाद जिला प्रशासन ने किसानों की मांगों पर विचार करने का आश्वासन दिया है। अब देखना यह होगा कि क्या प्रभावित किसानों को उनकी मांग के अनुरूप मुआवजा मिलेगा या नहीं।
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