राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष जयंत चौधरी (Jayant Chaudhary) ने समाजवादी पार्टी के नेता आजम खान (Azam Khan) की विधायकी जाने पर विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना (Satish Mahana) को पत्र लिखकर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने कहा कि आजम खान को सजा मिलने के बाद उनकी विधानसभा सदस्यता खत्म हो सकती है तो मुजफ्फरनगर दंगे में दोषी पाए गए बीजेपी विधायक विक्रम सैनी (BJP MLA Vikram Saini) की क्यों नहीं?
विक्रम सैनी पर कार्रवाई की मांग
जयंत चौधरी ने जन लोक प्रतिनिधित्व कानून का हवाला देते हुए सतीश महाना से विक्रम सैनी के प्रकरण में भी शीघ्र कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने पत्र मं लिखा कि स्पेशल एमपी एमएलए कोर्ट में हेट स्पीच के मामले में आपके कार्यालय द्वारा पारित फैसला लेते हुए सपा के वरिष्ठ नेता आजम खां की सदस्यता तत्काल प्रभाव से रद कर दी गई।
उन्होंने कहा कि जनप्रतिनिधित्व कानून लागू करने की आपकी सक्रियता की प्रशंसा की जानी चाहिए, किंतु जब हम पूर्व में घटित ऐसे ही मामले में आपकी निष्क्रियता देखते हैं तो सवाल खड़ा होता है। क्या कानून की व्याख्या व्यक्ति-व्यक्ति के मामले में अलग-अलग रूप से की जा सकती है?
विक्रम सैनी मामले में नहीं की गई कोई पहल
जयंत चौधरी ने आगे लिखा इस संदर्भ में आपका ध्यान मैं मुजफ्फरनगर की खतौली से भाजपा विधायक विक्रम सैनी के प्रकरण में आकृष्ट कराना चाहूंगा, जिन्हें 2013 में हुए मुजफ्फरनगर दंगे के लिए स्पेशल एमपी एमएलए कोर्ट ने 11 अक्टूबर, 2022 को जनप्रतिनिधित्व कानून के तहत दो वर्ष की सजा सुनाई गई। उस प्रकरण में आपकी ओर से आज तक कोई पहल नहीं की गई।
उन्होंने यह भी सवाल किया कि क्या सत्ताधारी दल और विपक्ष के विधायक के लिए कानून की व्याख्या अलग-अलग तरीके से की जा सकती है? यह सवाल तब तक अस्तित्व में रहेगा जब तक आप भाजपा विधायक विक्रम सैनी के मामले में ऐसी ही पहल नहीं करते। मुझे उम्मीद है कि आप मेरे पत्र का संज्ञान लेते हुए विक्रम सैनी के मामले में भी शीघ्र ऐसा निर्णय लेंगे, जो सिद्ध करेगा कि न्याय की लेखनी का रंग एक सा होता है भिन्न-भिन्न नहीं।
सतीश महाना ने दिया पत्र का जवाब
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