Sambhal Violence Report: संभल हिंसा मामले में जांच आयोग ने सीएम योगी को सौंपी 450 पन्नों की रिपोर्ट, जल्द होगी कार्रवाई

Sambhal Violence Report: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के संभल (Sambhal) जिले में बीते वर्ष हुई हिंसा पर गठित न्यायिक आयोग ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) को करीब 450 पृष्ठों की रिपोर्ट सौंपी है। इस रिपोर्ट में न केवल 24 नवंबर 2024 की हिंसा का विवरण है, बल्कि आजादी के बाद से संभल में हुए दंगों की श्रृंखला और उनके परिणामों का भी जिक्र किया गया है। रिपोर्ट पहले राज्य कैबिनेट के समक्ष रखी जाएगी और मंजूरी के बाद आगामी विधानसभा सत्र में पेश की जाएगी।

जनसांख्यिकीय बदलाव और मंदिर विवाद का उल्लेख

रिपोर्ट में संभल की डेमोग्राफिक स्थिति पर गंभीर तथ्य सामने आए हैं। 1947 में नगर पालिका क्षेत्र में हिंदू आबादी 45 प्रतिशत थी, जो अब घटकर 15-20 प्रतिशत रह गई है। इसके पीछे तुष्टिकरण, योजनाबद्ध दंगे और भय के माहौल को मुख्य वजह बताया गया है। साथ ही रिपोर्ट में हरिहर मंदिर की नींव में बाबर कालीन साक्ष्य मिलने का दावा किया गया है, जिससे ऐतिहासिक विवाद गहराने की आशंका जताई गई है।

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दंगों की श्रृंखला और विदेशी हथियारों का प्रयोग

न्यायिक जांच रिपोर्ट के अनुसार, 1947 से लेकर 2019 तक संभल में 15 बड़े दंगे हुए, जिनमें सबसे अधिक नुकसान हिंदू समुदाय को उठाना पड़ा। रिपोर्ट में यह भी दर्ज है कि इन दंगों में विदेशी हथियारों का इस्तेमाल हुआ और मेड इन USA हथियार तक बरामद किए गए। इसके साथ ही कई आतंकी संगठनों की गतिविधियों के सबूत मिलने का दावा किया गया है।

24 नवंबर की हिंसा पूर्वनियोजित

रिपोर्ट में साफ किया गया है कि 24 नवंबर 2024 को संभल जामा मस्जिद के बाहर हुई हिंसा पूरी तरह पूर्वनियोजित थी। मस्जिद प्रबंधन को सर्वे की जानकारी पहले ही दी गई थी, जिसके बाद सूचना लीक होकर भीड़ जुटाई गई। आरोप है कि सांसद जिया-उर-रहमान बर्क, विधायक पुत्र सुहैल इकबाल और मस्जिद की इंतेजामिया कमेटी ने साजिश रची। रिपोर्ट में बर्क के भड़काऊ भाषण का भी जिक्र है, जिसमें उन्होंने कहा था कि “हम इस देश के मालिक हैं, गुलाम नहीं।”

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आगे की कार्रवाई पर टिकी नजर

तीन सदस्यीय जांच समिति की अध्यक्षता हाई कोर्ट के पूर्व जज देवेंद्र अरोड़ा ने की थी, जिसमें पूर्व डीजीपी ए.के. जैन और अधिकारी अमित मोहन प्रसाद भी शामिल थे। अब सरकार रिपोर्ट का अध्ययन कर आगे की कार्रवाई की रणनीति तय करेगी। माना जा रहा है कि रिपोर्ट के कई निष्कर्ष प्रदेश की राजनीति और समाज पर दूरगामी असर डाल सकते हैं।

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