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चुनाव की पवित्रता आवश्यक: सुप्रीम कोर्ट ने यूपी ग्राम प्रधान चुनाव में पुनःगणना के दिए आदेश

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि चुनाव में प्रत्येक वोट का अपना महत्व होता है, चाहे वह अंतिम परिणाम को प्रभावित करे या न करे, और इसलिए उसकी पवित्रता को बनाए रखना आवश्यक है।

शीर्ष अदालत ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के उस आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें हाई कोर्ट ने एसडीएम द्वारा दोबारा गिनती के आदेश को निरस्त कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि चुनाव से जुड़े प्रत्येक दस्तावेज का सुरक्षित रहना बेहद आवश्यक है, और इसके संरक्षण के लिए हरसंभव प्रयास किया जाना चाहिए।

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यह मामला उत्तर प्रदेश के एक गांव में 2021 में हुए ग्राम प्रधान चुनाव से जुड़ा था, जहां अंतिम गिनती को लेकर विवाद था और मतदान अधिकारियों के रिकॉर्ड गायब थे। सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस संजय करोल की अगुवाई वाली बेंच ने 6 मार्च को अपने फैसले में कहा कि मतदान केंद्रों के प्रेसीडिंग ऑफिसर की डायरी तमाम प्रयासों के बावजूद नहीं मिल सकी, जिससे अंतिम गिनती संदेह के दायरे में आ गई।

कोर्ट ने दोबारा गिनती का आदेश देते हुए कहा कि चुनाव में खड़े उम्मीदवारों का मतदान प्रक्रिया पर नजर रखना और रिकॉर्ड का निरीक्षण करना उनके अधिकार क्षेत्र से बाहर नहीं किया जा सकता। यदि मतदान अधिकारियों के रिकॉर्ड गायब हैं और उनकी पुष्टि नहीं की जा सकती, तो यह माना जाएगा कि अंतिम निष्कर्ष संदेहास्पद है।

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मामला कुल गिने गए वोटों की संख्या को लेकर था। प्रयागराज के एक ग्राम प्रधान चुनाव में अपीलकर्ता को बताया गया कि कुल 1193 वोट पड़े थे, जबकि आधिकारिक घोषणा में 1213 वोट दर्ज थे, यानी 19 वोटों का अंतर था। प्रतिवादी 37 वोटों के अंतर से जीते थे, इसलिए भले ही अतिरिक्त 19 वोट हटा भी दिए जाएं, उनकी जीत पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता।

हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि उसका उद्देश्य यह तय करना नहीं है कि कौन जीतेगा, बल्कि यह देखना है कि पूरी चुनावी प्रक्रिया निष्पक्ष और वैधानिक सिद्धांतों के अनुरूप थी या नहीं। यदि प्रक्रिया में खामी पाई जाती है, तो संबंधित व्यक्ति को पद से हटाया जाना चाहिए और जनता को दोबारा अपने प्रतिनिधि चुनने का अवसर मिलना चाहिए।कोर्ट ने माना कि इस मामले में पुनर्गणना ही न्यायसंगत समाधान होगा।

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