मंगलवार को 5 राज्यों के विधानसभा चुनाव परिणाम आ गए हैं. भाजपा को तीनों राज्यों से अपनी सत्ता गवांनी पड़ी. राजस्थान में भाजपा 200 में से 73 सीटें, मध्यप्रदेश में 230 में से 109 सीटें तथा छत्तीसगढ़ में 90 में से सिर्फ 15 सीटें ही जीत पाई. बीजेपी की इस हार ने पार्टी को सोचने करने पर मजबूर कर दिया है कि आखिर क्या कमी रह गयी जो अर्श से फर्श पर आ गिरे.
5 राज्यों में 3 राज्यों में भारतीय जनता पार्टी के पिछड़ने की सबसे बड़ी वजह NOTA को माना जा रहा है. पाँचों राज्यों में भारी संख्या में मतदाताओं ने किसी भी पार्टी को वोट नहीं देकर NOTA का बटन दबाया है. मध्य प्रदेश और राजस्थान में तो भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के बीच वोटों का जितना अंतर है उससे ज्यादा वोट तो NOTA में डाले गए. चुनाव आयोग के मुताबिक, छत्तीसगढ़ में सर्वाधिक 2.1 प्रतिशत, मध्य प्रदेश में NOTA के तहत 1.5 प्रतिशत, राजस्थान में 1.3 प्रतिशत, तेलंगाना में 1.1 प्रतिशत और मिजोरम में 0.5 प्रतिशत वोट नोटा के खाते में गये हैं.
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जानकार बीजेपी की इस हार की सबसे बड़ी वजह पार्टी से सवर्ण वोटों की नाराजगी और उन्हीं के द्वारा NOTA दबाने को बता रहें हैं. बता दें, बीजेपी का मुख्य जनाधार सवर्ण समाज और शहरी क्षेत्र में है. हाल के दिनों में SC/ST Act को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को मोदी सरकार द्वारा पलटने के बाद से सवर्ण वोटरों में पार्टी के प्रति नाराजगी साफ देगी गयी. सवर्णों ने बदं बुलाया जिसको बड़ा जन समर्थन मिला. वहीं राम मंदिर जिसे बीजेपी की 2014 में प्रचंड जीत के लिए अहम माना जाता है, सत्ता पाने के बाद बीजेपी अयोध्या में विवादित स्थल पर राम मंदिर निर्माण के विषय में सुप्रीम कोर्ट के फैसले की बात कहती आई है. कुल मिलाकर इन चुनाव परिणामों को कांग्रेस की जीत की जगह बीजेपी की हार के तौर पर देखना चाहिए.
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