सिर्फ पुलिस ही क्यों, अन्य विभागों के भ्रष्ट कर्मियों की भी सोशल मीडिया पर शेयर की जाएं तस्वीरें, हाईकोर्ट के अधिवक्ता की मांग

केंद्र सरकार ने निर्णय लिया है कि अब भ्रष्ट पुलिस अधिकारियों और कर्मचारियों की तस्वीरें (Pictures of Corrupt Employees) उनके अपराधों के साथ थानों के नोटिस बोर्ड पर लगाई जाएंगी। यह प्रदर्शन सिर्फ पुलिस थानों तक ही सीमित नहीं होगा, इन तस्वीरों को सोशल मीडिया पर भी शेयर किया जाएगा। वहीं, केंद्र सरकार के इस फैसले का विरोध भी शुरू हो गया है। सोशल मीडिया पर इस फैसले को लेकर सरकार की मंशा पर सवाल खड़े किये जा रहे हैं।


यूपी पुलिस में सुधार और मॉडल पुलिस एक्ट, 2006 लागू करने वकालत करने वाले हाईकोर्ट के अधिवक्ता विवेक कुमार ने कहा कि सिर्फ पुलिस ही क्यों, अन्य सरकारी विभागों के भ्रष्ट अधिकारियों और कर्मचारियों की तस्वीरें भी सोशल मीडिया पर साझा की जाएं।


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पुलिस के प्रति, पुलिस सुधार के प्रति जिस प्रकार का नकारात्मक रवैया आजतक सरकारें लेकर चल रही हैं या जिस प्रकार से मॉडल पुलिस एक्ट 2006 के दिशा निर्देशों को सुप्रीम कोर्ट ने जारी किया था, लेकिन आजतक राज्य सरकारें लागू नहीं करवा पाई हैं और न ही केंद्र ने इसमें किसी भी प्रकार की उत्सुक्ता या तेजी दिखाई इसे लागू करवाने की दिशा में।


उन्होंने कहा कि इस फैसले के माध्यम से यह संदेश देने की कोशिश की जा रही है कि भ्रष्टाचार सिर्फ पुलिस विभाग में ही है। अगर इसे कानून को बनाया जाता है तो इसे सभी विभागों पर समान रूप से लागू किया जाए। पर केंद्र सरकार ने फैसला लिया है कि केवल भ्रष्ट पुलिसकर्मियों की तस्वीरें ही सोशल मीडिया पर साझा की जाएंगी।


एडवोकेट विवेक कुमार ने सवाल किया कि पुलिस से जुड़ी कई विसंगतियां है, उन्हें दूर करने की दिशा में कार्य क्यों नहीं किया जा रहा है? केंद्र सरकार का ये फैसला पुलिसकर्मियों में नकारात्मकता का भाव पैदा करेगा। एक पुलिसकर्मी की गलती पूरे पुलिस विभाग को देखने का नजरिया बदल देती है। उन्होंने कहा कि पुलिस विभाग से ज्यादा भ्रष्टाचार आरटीओ में और सचिवालय में होता है। इन जैसे विभागों के भ्रष्ट अधिकारियों और कर्मचारियों की तस्वीरें भी साझा की जाएं।


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