पद्म विभूषण, पद्म भूषण और पद्म श्री सम्मान का ऐलान कर दिया गया है. इस बार चार लोगों को पद्म विभूषण, 14 को पद्म भूषण और 94 को पद्म श्री दिया जाएगा. लोक कलाकार तीजन बाई, जिबूती के राष्ट्रपति इस्माइल उमर गुलेह, एलएंडटी के अध्यक्ष एएम नाईक और बलवंत मोरेश्वर पुरंदरे को पद्म विभूषण सम्मान दिया जाएगा. वहीं दिवंगत पत्रकार कुलदीप नैयर, पूर्व कैग वीके शुंगलू, पूर्व मंत्री करिया मुंडा, अकाली नेता एसएस ढींढसा को पदम भूषण दिया जाएगा. गौतम गंभीर, शरत कमल और को पद्मश्री से सम्मानित किया जाएगा.
पद्म पुरस्कार पाने वालों में एक ऐसे व्यक्ति का नाम भी शामिल है, जो पहले बूचड़खाना चलाता था और बाद में गोसेवक बन गया था. महाराष्ट्र के बीड जिले के शिरूर कासार तालुका निवासी 58 वर्षीय शब्बीर सैय्यद को सामाजिक कार्य और पशु कल्याण के लिए पद्मश्री देने की घोषणा की गई है. वो अपने परिवार के साथ पिछले 50 साल से गाय की सेवा कर रहे हैं.
गाय का गोबर बेंचकर चलाते हैं घर खर्च
शब्बीर उस स्थान से आते हैं जहाँ पानी की काफी समस्या है. कमी कुछ ऐसी है कि जानवरों की प्यास से जान तक चली जाती है, लेकिन शब्बीर इन दिक्कतों को दरकिनार करते हुए पूरी तन्मयता से गोसेवा करते हैं . मजेदार बात है यह है कि शब्बीर न तो काटने के लिए गाय को बेचते हैं और न ही दूध. वो गाय के गोबर को बेचकर अपने घर का पूरा खर्च चलाते हैं. बताया जा रहा है कि गाय के गोबर बेचकर वो हर साल 70 हजार रुपये तक कमा लेते हैं.
पिता से सीखी गोसेवा
शब्बीर सैय्यद का कहना है कि मेरे पिता बुदन सैय्यद इससे छुटकारा पाना चाहते थे. लिहाजा उन्होंने बूचड़खाना बंद करके गोरक्षा और गोसेवा का काम शुरू कर दिया. उन्होंने सिर्फ दो गायों से इसकी शुरुआत की थी. इसके बाद साल 1972 में शब्बीर सैय्यद अपने पिता के पद चिन्हों पर चलते हुए 10 गायों को खरीदा और उनकी सेवा शुरू कर दी. इसके अलावा शब्बीर का परिवार बीफ भी नहीं खाता है. शब्बीर सैय्यद की पत्नी आशरबी, बेटे रमजान और यूसुफ और बहू रिजवान और अंजुम भी बीफ नहीं खाते हैं. ये सभी मिलकर गायों की खूब सेवा करते हैं.
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