टोक्यो ओलंपिक (Tokyo Olympics) मीराबाई चानू (Mirabai Chanu) ने इतिहास रच दिया. उन्होंने वेटलिफ्टिंग (Weightlifting) की 49 किलोग्राम कैटेगरी में सिल्वर जीत कर भारत को पहला मेडल दिला दिया. मीराबाई चानू (Mirabai Chanu) आज कामयाबी की बुलंदियों पर है, लेकिन उनके लिए यहां तक का सफर आसान नहीं रहा है. मीराबाई का बचपन पहाड़ से जलावन की लकड़ियां बीनते बीता. वह बचपन से ही भारी वजन उठाने की मास्टर रही हैं.
बजरंग बली और शिव भक्त हैं मीराबाई चानू
मीराबाई चानून बजरंग बली और शिव भक्त हैं. उन्हें हनुमान चालीसा मुंह जुबानी याद है. दरअसल चार साल पहले रियो ओलंपिक की विफलता ने मीरा को हनुमान जी और भगवान शिव का भक्त बना दिया. रियो में उनके हाथ में पदक था लेकिन क्लीन एंड जर्क में वह एक भी लिफ्ट नहीं उठा सकीं. अब आलम ऐसा है कि चानू के जहां भी जाती हैं अपने साथ भगवान शिव और हनुमान जी की मूर्तिं जरूर मिलेगी. टोक्यो ओलंपिक में भी खेल गांव के कमरे में प्रवेश करते ही मीराबाई चानू ने सबसे पहले भगवान शिव और हनुमान जी स्थापित किया था, उसके बाद कोई दूसरा काम किया.
कभी अच्छी डाइट के लिए पैसे नहीं थे
मीराबाई चानू ने अपनी जिंदगी में काफी जद्दोजहद किया है. मुश्किलों से गुजरने के बाद मीराबाई ने ये मुकाम हासिल किया. एक वक्त ऐसा भी था जब मीराबाई चानू (Mirabai Chanu) के पास अच्छी डाइट के लिए पैसे नहीं थे. उन्होंने जब वेटलिफ्टिंग की ट्रेनिंग शुरू की थी, तब उनके घर की आर्थिक हालात ठीक नहीं थे. इस वजह से उन्हें कई बार अच्छी डाइट नहीं मिल पाती थी. उन्हें डाइट में रोज़ाना दूध और चिकन चाहिए था, लेकिन एक आम परिवार की मीरा के लिए ये नामुमकिन था.
जानिए कैसा रहा मीराबाई चानू का सफर
बता दें कि इम्फाल की ही रहने वाली कुंजरानी भारतीय वेटलिफ्टिंग इतिहास की सबसे डेकोरेटेड महिला हैं. कोई भी भारतीय महिला वेटलिफ्टर कुंजरानी से दा मेडल नहीं जीत पाई है. बस, कक्षा आठ में तय हो गया कि अब तो वजन ही उठाना है. इसके साथ ही शुरू हुआ मीराबाई का करियर. मीराबाई की मेहनत आखिरकार रंग लाई, जब उन्होंने 2014 में ग्लास्गो कॉमनवेल्थ गेम्स में 48 किलो भारवर्ग में उन्होंने भारत के लिए सिल्वर मेडल जीता. लगातार अच्छे प्रदर्शन की बदौलत उन्होंने रियो ओलंपिक के लिए क्वालिफाई कर लिया था. हालांकि रियो में उनका प्रदर्शन उम्मीदों के मुताबिक नहीं रहा था. वह क्लीन एंड जर्क के तीनों प्रयासों में भार उठाने में नाकामयाब रही थीं.
रियो ओलंपिक की नाकामी को भुलाकर मीराबाई चानू ने 2017 के विश्व भारोत्तोलन चैम्पियनशिप में शानदार प्रदर्शन किया. अनाहेम में हुए उस चैम्पिनशिप में मीराबाई ने कुल 194 (स्नैच में 85 और क्लीन एंड जर्क में 107) किलो वजन उठाया था, जो कंपटीशन रिकॉर्ड था. 2018 में एक बार फिर कॉमनवेल्थ गेम्स में मीराबाई चानू ने गोल्ड मेडल जीतकर अपनी श्रेष्ठता साबित की. मीराबाई 2021 ओलंपिक के लिए क्वालिफाई करने वाली इकलौती भारतीय वेटलिफ्टर हैं. उन्होंने एशियन चैम्पियनशिप में 49 किलो भारवर्ग में कांस्य जीतकर टोक्यो का टिकट हासिल किया था. इस दौरान 26 साल की मीराबाई ने ने स्नैच में 86 किग्रा का भार उठाने के बाद क्लीन एवं जर्क में विश्व रिकॉर्ड कायम करते हुए 119 किलोग्राम का भार उठाया था.
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