मुकेश कुमार, संवाददाता गोरखपुर। समावर्तन संस्कार विद्यार्थी के जीवन का महत्वपूर्ण पड़ाव होता हैं। यह ऐसा पड़ाव जब आप अपनी शिक्षा हासिल करके, अपनी डिग्री प्राप्त करके, अपने जीवन के लक्ष्य को प्राप्त करने निकल पड़ते हैं। इस यात्रा के लिए आपको तैयार करने मे आप के गुरुजनों, माता-पिता एवं परिवार के अन्य सदस्यों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। इसलिए आज का यह दिन उनके सामने अपनी कृतज्ञता और आभार व्यक्त करना, आपकी सबसे बड़ी प्राथमिकता होना चाहिए। वर्ष 2047 तक हम सभी ने भारत को एक विकसित देश बनाने का लक्ष्य रखा है। इस राष्ट्रीय संकल्प की सिद्धि और लक्ष्य की प्राप्ति में आपकी पीढ़ी के द्वारा किए गए कार्य निर्णायक भूमिका निभाएंगे। आपके द्वारा देखे गए नए सपने, आपकी नई सोच और आपके द्वारा किए गए काम भारत को दुनिया में एक नई पहचान दिलाने का काम करेंगे। ज्ञान विज्ञान के बढ़ते आयामों के साथ आज यह आवश्यक है कि विद्यार्थी अपनी संस्कृति एवं संस्कारों को संजोकर रखें। समावर्तन संस्कार का मूल ही हमें अपनी संस्कृति एवं संस्कारों से जोड़े रखता है। आज के बदलते हुए परिवेश में विद्यार्थियों का यह कर्तव्य है कि वो इस बदलते हुए सामाजिक परिवेश के साथ अपने ज्ञान आधारित सामंजस्य को बेहतर तरीके से स्थापित करें। विद्यार्थी जीवन की सफलता इस तथ्य में निहित है कि वो अपने अर्जित ज्ञान के आधार पर समाज के उन्नयन में अपना महत्वपूर्ण योगदान दें।
उक्त बातें महाराणा प्रताप महाविद्यालय, जंगल धूसड़, गोरखपुर के 18 वें समावर्तन संस्कार समारोह के अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए महायोगी गोरखनाथ आयुष विश्वविद्यालय, गोरखपुर के माननीय कुलपति प्रो. कुंदुरू राम चन्द्र रेड्डी ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा। उन्होंने आगे कहा कि आजादी के बाद दशकों तक हमारे देश के युवा वर्ग को अपने सपनों को पूरा करने के लिए विदेश जाना पड़ता था, पर आज हमारे पास अपने सभी सपनों को पूरा करने के साधन और संसाधन दोनों हैं, जरूरत हैं तो सिर्फ संकल्प शक्ति की। आज समय बदल गया हैं, यह भारत का समय हैं। आज आप अपने इस देश में अपने भारत में रहकर कोई भी सपने देख सकते हैं और उन्हें अपने संकल्प और साधना से पूरा भी कर सकते हैं। शिक्षा हमें जीवन की आगामी चुनौतियों के लिए तैयार करती है। समसामयिक विमर्शों से आप अपने को सम्बद्ध करने हेतु संयमित रूप से अनुशासन का पालन करना होगा। प्रो० रेड्डी ने यह भी कहा कि जीवन में सर्वश्रेष्ठ की प्राप्ति तभी संभव है, जब आन्तरिक तथा वाह्य के मध्य संतुलन स्थापित किया जाए। अतः हमारी प्रकृति में सहजता एवं संतुलन का अनन्य समन्वय होना चाहिए। आज का यह सामवर्तन संस्कार हमें उसी परम्परा से जोड़ता है। समावर्तन हमे इस रूप में दीक्षित करता है कि हमें अपने समस्त ज्ञानेन्द्रियों एवं कर्मेन्दियों को अनुशासित कर सद्आचरण कर सकें।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय, सोनबरसा, आरोग्यधाम बालापार, गोरखपुर के माननीय कुलपति प्रो. सुरिन्दर सिंह ने कहा कि प्राचीन काल में गुरुकुल शिक्षा में अध्ययन के समापन के बाद घर वापस लौटने के लिये समावर्तन संस्कार होता था। आज का यह समावर्तन संस्कार समारोह उसी का एक रूप है। उन्होंने कहा कि समावर्तन एक भावनात्मक अनुबंध का प्रतीक भी हैं, जिसमें छात्र-छात्राएँ अपने ज्ञान और मेधा के साथ गुरुजनों के बताए मार्ग पर चलने और राष्ट्र सेवा की शपथ लेते हैं। डॉ० सिंह ने आगे कहा कि तेजी से बदलते वैश्विक परिवेश में या तो आप परिवर्तन को प्रेरित करते हैं अथवा परिवर्तन आपको प्रेरित करता है। इसलिए विद्यार्थी अपने जीवन के लक्ष्य निर्धारित करें और एकाग्र होकर उन लक्ष्यों को हासिल करने के लिये प्राण-पण से जुट जाएँ। इस दिशा में युगपुरूष ब्रहमलीन महन्त दिग्विजयनाथ जी महाराज द्वारा स्थापित महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद् की भूमिका अविस्मरणीय है। नाथपंथ का समग्र दर्शन वास्तव में शिक्षा एवं ज्ञान के आधार पर समाज का कल्याण करने वाला श्रेष्ठ दर्शन है। आज के शिक्षण संस्थानों का यह परम कर्तव्य है कि वो न सिर्फ किताबी ज्ञान से युक्त अपितु संस्कार आधारित शिक्षा, श्रेष्ठ जीवन मूल्य एवं आदर्शों से ओत-प्रोत जीवनोपयोगी गुणों से परिपूर्ण ऐसे विद्यार्थियों का निर्माण करें, जो समाज को सही दिशा दे सकें। इस दृष्टि से महाराणा प्रताप महाविद्यालय अत्यन्त सजगता एवं जिम्मेदारी के साथ अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते हुए एक आदर्श शिक्षा केन्द्र के रूप में विकसित होने की दिशा में अग्रसर हो रहा है।
विद्यार्थियों को सम्बोधित करते हुए कार्यक्रम अध्यक्ष ने आगे कहा कि विद्यार्थी भावी जीवन में निरंतर सीखने की भावना जागृत रखें और “अन-लर्निंग, रि-स्किलिंग व अप-स्किलिंग” पर विशेष ध्यान दें। साथ ही यह संकल्प लें कि जीवन के उतार-चढ़ाव और विपरीत परिस्थितियों में भी अपने आदर्शों, ज्ञान और आचरण के उच्चतम प्रतिमानों का निष्ठा के साथ पालन करेंगे। डॉ० सिंह ने यह भी कहा कि देश में बड़ा बदलाव युवा पीढ़ी ला सकती है। युवाओं में हर चुनौतियों से लड़ने और उसका समाधान निकालने की क्षमता होती है। हम सब को अपने व्यक्तिगत स्वार्थ को किनारे रख कर राष्ट्र धर्म सर्वोपरि की भावना रखना चाहिए।
समारोह में महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. प्रदीप कुमार राव ने प्रस्ताविकी रखते हुए कहा कि महाविद्यालय संस्कार आधारित शिक्षा देने के लिए प्रतिबद्ध है। यह महाविद्यालय पूज्य महन्तद्वय एवं गोरक्षपीठाधीश्वर महन्त योगी आदित्यनाथ जी महाराज के सपनो का महाविद्यालय है, ऐसे में समाज के प्रति हमारी जवाबदेही और जिम्मेदारी है कि हम महाविद्यालय में संस्कृति और संस्कार युक्त ऐसे क्षमतवान युवाओं का सृजन करें, जो समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी को समझते हुए सामाजिक विकास में अपना सर्वश्रेष्ठ योगदान दें। महाविद्यालय राष्ट्रीय शिक्षा नीति: 2020 के अनेक प्रावधानों को अपने संस्थागत सामाजिक दायित्वों के अन्तर्गत 2012 से ही लागू कर अपनी दूरदृष्टता का प्रमाण दे चुका है। आगे भी राष्ट्रीय शिक्षा नीति के प्रावधानों को पूर्णतः लागू करने के लिए महाविद्यालय अपने पूर्ण मनोभावों के साथ प्रयासरत है।
कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रुप में महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद् के वरिष्ठ सदस्य एवं सम्मानित अधिवक्ता श्री प्रमथ नाथ मिश्र ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि आज जब आप सभी विद्यार्थी अपने-अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिए इस महाविद्यालय से बाहर की दुनिया में कदम रखने के लिए तैयार हैं, तो हमें तीन महत्वपूर्ण बातों को ध्यान रखना होगा।
ईश्वर में आपकी आस्था, अपनी क्षमताओं पर आपका भरोसा और अपने प्रयासों के सर्वोत्तम परिणाम की आशा। आज भारत हर एक क्षेत्र मे आत्मनिर्भर बन रहा हैं। आज भारत एक सशक्त राष्ट्र के रूप में खुद को स्थापित कर रहा हैं। ऐसे मे आप सभी एक नए आत्मविश्वास और ऊर्जा के साथ भारत का प्रतिनिधित्व कर सकते हैं। कार्यक्रम का शुभारम्भ दीप प्रज्जवलन, पुष्पांजलि एवं सरस्वती वन्दना से हुआ। उसके पश्चात् महाविद्यालय के प्राचार्य द्वारा विद्यार्थियों को समावर्तन उपदेश एवं संकल्प ग्रहण कराया गया। कार्यक्रम का संचालन महाविद्यालय के प्राणी विज्ञान विभाग के सहायक आचार्य श्री विनय कुमार सिंह ने किया। इस अवसर पर दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय, गोरखपुर के सहित महानगर के विविध शिक्षण प्रशिक्षण संस्थानों के आचार्यगण तथा गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे।
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इन विद्यार्थियों को किया गया सम्मानित
जीवन मूल्य प्रमाण-पत्र पाठ्यक्रम के श्रेष्ठतम विद्यार्थी का महायोगी गोरखनाथ सम्मान- सुश्री सुष्मिता
हमारे पूर्वज प्रमाण-पत्र पाठ्यक्रम के श्रेष्ठतम विद्यार्थी का महन्त दिग्विजयनाथ सम्मान- सुश्री अंकिता पाण्डेय
सिलाई कढ़ाई प्रशिक्षण प्रमाण-पत्र पाठ्यक्रम के श्रेष्ठतम प्रशिक्षु का योगिराज बाबा गम्भीरनाथ सम्मान- सुश्री सोनी विश्वकर्मा
उन्नत भारत अभियान के अंतर्गत महिला स्वावलंबन सम्मान- सुश्री दिव्या
निःशुल्क कम्प्यूटर प्रशिक्षण प्रमाण-पत्र पाठ्यक्रम के श्रेष्ठतम विद्यार्थी का चेतक सम्मान- श्री अल्ताफ अली हाशमिन
कास्मेटोलॉजी एण्ड सेल्फकेयर प्रमाण-पत्र पाठ्यक्रम के श्रेष्ठतम विद्यार्थी का महारानी पद्मिनी सम्मान- श्रीमती प्रियंका
संगीत प्रशिक्षण प्रमाण-पत्र पाठ्यक्रम के श्रेष्ठतम प्रशिक्षु का माता अरून्धती सम्मान- सुश्री शुभी
आपदा प्रबन्धन एवं राष्ट्रीय सुरक्षा प्रमाण-पत्र पाठ्यक्रम के श्रेष्ठतम प्रशिक्षु का मेजर सोमनाथ शर्मा सम्मान- श्री विक्रांत सिंह
बी.एड्. विभाग द्वारा गोद लिए गांव मंझरिया में शिक्षा स्वास्थ्य एवं जनजागरण के प्रसार हेतु चलाए जा रहे अभियान मिशन मंझरिया के सभी सेवाव्रती की प्रभारी- सुश्री क्षमा उपाध्याय
100 महिलाओं को भेंट की गई निःशुल्क सिलाई मशीन
कार्यक्रम में श्री श्यामल चौधरी सामाजिक कार्यकर्ता एवं प्रतिष्ठित व्यवसायी द्वारा 100 महिलाओं को निःशुल्क सिलाई मशीन भेंट की गई। महाराणा प्रताप महाविद्यालय के उन्नत भारत अभियान के अंतर्गत संचालित मिशन मंझरिया की महिलाओं को एक सप्ताह की निःशुल्क प्रशिक्षण के बाद उन्हें सिलाई मशीन दी गई। निःशुल्क सिलाई-कढ़ाई प्रशिक्षण कार्यक्रम महाराणा प्रताप महाविद्यालय, जंगल धूसड़, गोरखपुर द्वारा दिया गया।
पारंपरिक भारतीय गणवेश में सम्पन्न हुआ दीक्षान्त समारोह
समावर्तन संस्कार समारोह में मुख्य आकर्षण छात्र-छात्राओं का गणवेश रहा। केसरिया कुर्ता एवं सफेद धोती में छात्र तथा केसरिया साड़ी में छात्राएँ समावर्तन संस्कार समारोह का मुख्य आकर्षण रहें। मुख्य अतिथि ने गाउन का यह विकल्प प्रस्तुत करने पर महाविद्यालय को बधाई दी।
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