उत्तर प्रदेश सरकार (UP Government) ने राज्य कर विभाग के सबसे भ्रष्ट और खराब छवि वाले अधिकारियों की सूची (Corrupt Officers List) तलब की है। प्रमुख सचिव राज्य कर एम. देवराज ने सभी जोनल आयुक्तों और संयुक्त आयुक्तों को निर्देश दिए हैं कि वे अपने-अपने जिलों में सचल दल और विशेष जांच दल (एसआईबी) के एक-एक सबसे भ्रष्ट अधिकारी का नाम बताएं।
शासन को भेजे जाएं खराब परफॉर्मेंस व छवि वाले अफसरों के नाम
प्रमुख सचिव देवराज ने एक समीक्षा बैठक के दौरान कहा कि जोनल स्तर पर सबसे खराब परफॉर्मेंस और खराब छवि वाले अधिकारियों के नाम शासन को भेजे जाएं। इसके लिए एसआईबी और सचल दल की परफॉर्मेंस के आकलन के मानक भी जारी किए गए हैं। इन मानकों पर खरे नहीं उतरने वाले अधिकारियों की सूची बनाई जाएगी और उन्हें शासन को भेजा जाएगा।
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आदेश से विभाग में खलबली, अधिकारियों में फूट
इस निर्देश के बाद राज्य कर विभाग के अधिकारियों में हड़कंप मच गया है। एडिशनल कमिश्नर ग्रेड-1, ग्रेड-2 और ज्वाइंट कमिश्नरों से भ्रष्ट अधिकारियों की सूची मांगे जाने के कारण ऐसा संदेश गया है कि शीर्ष अधिकारी पाक-साफ हैं और केवल उपायुक्त, सहायक आयुक्त और वाणिज्य कर अधिकारी ही भ्रष्ट हैं।
इस मामले पर विभाग में विवाद छिड़ गया है, क्योंकि ‘खराब छवि’ के लिए कोई स्पष्ट मापदंड नहीं है। अधिकारियों का कहना है कि यदि किसी पर आरोप हैं तो उसकी जांच होनी चाहिए, और उसके आचरण का जिक्र उनकी वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट (एसीआर) में भी होता है।
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परफॉर्मेंस तय करने के मानक
एसआईबी और सचल दल के अधिकारियों की परफॉर्मेंस तय करने के लिए कुछ मानक निर्धारित किए गए हैं:
एसआईबी के लिए मानक:
टैक्स कलेक्शन की स्थिति
केस प्रोफाइल की गुणवत्ता
रिपोर्टिंग की गुणवत्ता और समय
सामान्य छवि
सचल दल के लिए मानक:
टैक्स कलेक्शन का स्तरवाहन चेकिंग में टैक्स चोरी वाले वाहनों की संख्या
ई-वे बिल स्कैनिंग का टैक्स कलेक्शन पर असर
50,000 रुपये से कम बिलों का संकलन और टैक्स कलेक्शन का प्रभाव
अधिकारी की सामान्य छवि
इसके अतिरिक्त, जोनल अधिकारी अपने खुद के मानक भी निर्धारित कर सकते हैं।
इस आदेश के चलते राज्य कर कार्यालयों में बेचैनी का माहौल है और अधिकारियों के बीच आपसी खींचतान बढ़ गई है।