उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ (Azamgarh) जिले के मदरसों (Madrasa) में फर्जी नियुक्तियों के मामले में हैरान करने देने वाला खुलासा हुआ है। जानकारी के अनुसार, तीसरे दर्ज से पास लोगों को भी टीचर बना दिया गया। एक मदरसे के अध्यक्ष ने तो अपनी ही चारों बेटियों को बतौर शिक्षक बहाल कर दिया। कई ऐसे शिक्षक भी हैं, जिनके पास मान्यता प्राप्त संस्थान का प्रमाण पत्र तक नहीं है। फर्जी नियुक्तियों के इस खेल में अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के अधिकारियों एवं कर्मचारियों के अलावा मदरसा के संचालक भी शामिल रहे हैं।
आजमगढ़ के 20 मदरसों से मिली जानकारी ने चौंकाया
इस मामले की जांच की जांच विशेष जांच दल (SIT) को सौंपी गई है, जो साल 1974 से 3013 के बीच आजमगढ़ में अल्पसंख्यक कल्याण विभाग में तैनात रहे अधिकारियों और कर्मचारियों का ब्योरा खंगालने में जुटी है। एसआईटी ने आजमगढ़ के 20 मदरसों का निरीक्षण किया है। यहां से जब्त किए गए दस्तावेजों, दर्ज किए गए बयानों और जुटाए गए सबूतों से खुलासा हुआ है कि कई शिक्षकों के प्रमाण पत्र ऐसे संस्थान के हैं, जिन्हें न तो केंद्र और न ही राज्य सरकार की मान्यता प्राप्त है।
नियमों के अनुसार, जो पूरी तरह से अपात्र थे, उन्हें भी मदरसों में शिक्षक बनाकर बैठा दिया गया। नियमानुसार अध्यापक आलिया के लिए फाजिल शैक्षिक योग्यता 55 प्रतिशत अंक के साथ उत्तीण होनी चाहिए, लेकिन अधिकतर शिक्षकों के मार्क्स इससे कम थे। एक शिक्षक को तो तीसरे दर्ज से भी उत्तीर्ण होने के लिए 1 अंक के ग्रेस मार्क की जरूरत पड़ी थी। ये घोटाला कई सालों से यूं ही चला आ रहा था, लेकिन सरकारों ने इस तरफ ध्यान नहीं दिया।
शिक्षकों की नियुक्ति में जमकर उड़ाई गईं नियमों की धज्जियां
उदाहरण के तौर पर, एक शिक्षक ने मऊ के चिरैयाकोट के सेराजनगर स्थित सेराजुल ओलुम मदरसा से 28 फरवरी, 2004 में फाजिल का तीन वर्ष का शिक्षण अनुभव दिखाया, जबकि इस मदरसा को तब तक मान्यता मिली ही नहीं थी। इसी तरह 6 नवंबर, 1981 को अरमान अहमद नामक शिक्षक की नियुक्ति हुई। 18 वर्ष सेकम की उम्र में ही उसे सहायक शिक्षक के रूप में बहाल कर दिया गया। इन नियुक्तियों में नियमों की जमकर धज्जियां उड़ाई गईं।
वहीं, मोहम्मद मेहंदी नामक प्रधानाचार्य ‘सहायक अध्यापक आलिया’ की नियुक्ति 9 जनवरी, 1996 को हुई, जबकि उनका अनुभव प्रमाण पत्र 21 मार्च, 1996 का था। इसी तरह मुबारकपुर का मदरसा जामिया नुरूल ओलुम अंजुमन सिद्दीकिया जामिया नुरूल ओलुम सोसायटी द्वारा संचालित है। सोसायटी व चयन समिति के अध्यक्ष जहीन अहमद ने अपनी चारों बेटियों को प्रधानाचार्य सहित अन्य पदों पर नियुक्त कर दिया।
इन 20 मदरसों की हुई जांच
जिले के जिन मदरसों की जाँच हुई है उनमें मुबारकपुर के मदरसा जामिया नुरुल उलूम, मदरसा अशरफिया सिराजुल उलूम नेवादा अमिलो, अरबिया दारूतालीम सोफीपुरा, बाबुल ईल्म निस्वाँ, जफरपुर का मदरसा अरबिया जियाउल उलूम मंदे, बम्हौर का मदरसा मदरसतुल आलिया शेख रज्जब अली, जामिया अरबिया तनवीर उल उलूम नौशहरा, अरबिया कासिमुल मगराँवा, इस्लामिया जमीअतुल कुरैश जालंधरी समेत कुल 20 मदरसे शामिल है।
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इस मामले में इन मदरसों के प्रबंधक अख्तर अब्बास, फैजान अहमद, मोहम्मद आरिफ, गुलाम मोहम्मद, गयासुद्दीन, हाफिजुर रहमान, सहायक अध्यापक गयासुर रहमान, अब्दुल अलीम, अब्बास अली, बरकत अहमद, दानिश, यासमीन अख्तर, अरमान अहमद खान, मोहम्मद मेहंदी, साजिदा बानो, लिपिक शादाब अहमद, फहीम एजाज, मोहम्मद अरशद, मोहम्मद शाहनवाज और चपरासी मुश्ताक अहमद के खिलाफ नामजद एफआईआर की गई है।
बीते दिनों एक आरटीआई से आजमगढ़ और मिर्जापुर के मदरसों में फर्जी नियुक्तियों का खुलासा हुआ था जिसके बाद शासन ने एसआईटी को इस पूरे मामले की जांच सौंपी थी एसआईटी की शुरुआती जांच में ही आजमगढ़ के 20 मदरसों में फर्जी नियुक्तियों की पुष्टि हुई जिसके बाद यह एफआईआर दर्ज हुई है।
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