उत्तर प्रदेश की चित्रकूट जिला जेल (Chitrakoot Jail) में शुक्रवार को फायरिंग में यूपी के 3 बड़े गैंगस्टर मारे गए हैं। अंशु दीक्षित (Anshul Dixit) नाम के कैदी ने फायरिंग कर मेराजुद्दीन (Merajuddin) और मुकीम काला (Mukeem Kala) की हत्या कर दी है। मुकीम काला पश्चिम उत्तर प्रदेश का बड़ा बदमाश था तो मेराजुद्दीन माफिया डॉन मुख्तार अंसारी का खास गुर्गा माना जाता था। वहीं, पुलिस कार्रवाई में अंशुल दीक्षित भी ढेर हो गया है।
मौके पर मौजूद जिले के आला अधिकारी
मिली जानकारी के अनुसार, जिले के आला अफसर मौके पर मौजूद हैं। आईजी के सत्यनारायण, डीएम सुभ्रान्त कुमार शुक्ला, एसपी अंकित मित्तल, जेल अधीक्षक श्री प्रकाश त्रिपाठी समेत भारी फोर्स मौके पर मौजूद है। बता दें कि मुकीम पर हत्या, लूट, रंगदारी, अपहरण, फिरौती जैसे 35 से ज्यादा मुकदमे दर्ज थे।
एनआईए अफसर का हत्यारा था मुकीम काला
मुकीम काला वही अपराधी है, जिसने एनआईए अफसर तंजील अहमद को दिन दहाड़े मौते के घाट उतार दिया था। इसने तंजील अहमद को मारने से पहले प्रैक्टिस के तौर पर लखनऊ में निर्दोष होटल मैनेजर की गोली मारकर हत्या कर दी थी। प्रदेश में योगी सरकार बनने के बाद अपराधियों में खौफ का ऐसा माहौल पैदा हुआ कि मुकीम काला ने कोर्ट के भीतर कहा था कि मुझे जंजीरों में जकड़ दो ताकि पुलिस मेरे एनकाउंटर का कोई बहाना न ढूंढ सके।
कैराना में पलायान का मुख्य आरोपी मुकीम काला की मौत
वेस्ट यूपी के कैराना में पलायन का मुख्य आरोपी मुकीम काला था। बता दें, कैराना समेत आसपास के इलाकों में आतंक का पर्याय बना कुख्यात मुकीम उर्फ काला 6 साल पहले अन्य मजदूरों के साथ मकान निर्माण में चिनाई मिस्त्री के साथ मजदूरी करता था। मुकीम काला ने पहली वारदात हरियाणा के पानीपत में एक मकान में डकैती के रूप में अंजाम दी। इस मामले में मुकीम काला जेल गया था। उसके बाद उसने अपराध की दुनिया में अपने कदम आगे बढ़ा दिए।
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मुकीम काला का खौफ वेस्ट यूपी के अलावा हरियाणा के पानीपत और उत्तराखंड के देहरादून में भी फैला है। मुकीम का गैंग पुलिस के रडार पर तब आया जब इन्होंने पुलिस पर भी हमले करने शुरू कर दिए। पुलिस के अनुसार, दिसबंर 2011 में पुलिस एनकाउंटर में मुस्तफा उर्फ कग्गा मारा गया जिसके बाद मुस्तकीम काला ने कग्गा के गैंग की बागडोर संभाल कर वारदातों को अंजाम देना शुरू कर दिया।
मुकीम काला के गैंग में डेढ़ दर्जन से अधिक बदमाश शामिल रहे और उन्होंने ताबड़ोड़ दो वर्षों में ही हत्या, लूट, रंगदारी समेत कई जघन्य वारदातों को अंजाम दे दिया। मुकीम काला ने अपने साथियों के साथ एक के बाद एक कई वारदात किए, लेकिन कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। पुलिस ने उसे कई बार पकड़ने की कोशिश की, लेकिन वह पुलिस की आंखों में धूल झोंककर फरार हो गया।
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पिछले साल अक्तूबर में पुलिस ने मुकीम काला को उसके साथी साबिर के साथ गिरफ्तार किया।शामली पुलिस के अनुसार, मुकीम काला को गिरफ्तार करने के बाद सहारनपुर जेल में रखा गया था। लेकिन बाद में उसे महाराजगंज जिले की जेल में और बाद में चित्रकूट जेल भेजा गया। पुलिस के अनुसार, वर्तमान में मुकीम काला पर करीब अलग-अलग थानों में करीब 61 अपराधिक मुकदमें दर्ज हैं। मुकीम काला गिरोह का काम लूट, हत्या, डकैती और जबरन रंगदारी वसूलना है।
अंशु दीक्षित ने भोपाल में एमपी पुलिस और यूपी एसटीएफ पर की थी फायरिंग
बता दें कि मेराजुद्दीन और मुकीम काला को मौत के घाट उतारने वाले अंशु दीक्षित ने 27 अक्टूबर 2013 को भोपाल में एमपी पुलिस और यूपी एसटीएफ की टीम पर गोली चला दी थी। इस गोलीबारी में एसटीएफ के दरोगा संदीप मिश्र और भोपाल क्राइम ब्रांच का सिपाही राघवेंद्र पांडेय घायल हो गए थे। इसके बाद मध्य प्रदेश पुलिस ने अंशु की गिरफ्तारी पर 10 हजार रुपये का इनाम घोषित किया था।
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पांच दिसंबर 2014 को एसटीएफ को सूचना मिली कि अंशु गोरखपुर में मौजूद है और वहां से नेपाल भागने की फिराक में है। इसके बाद एसटीएफ की टीम ने सर्विलांस की मदद से उसकी घेराबंदी की। गोरखनाथ इलाके में थोड़ी देर मुठभेड़ चली और उसी दौरान अंशु को गिरफ्तार कर लिया गया। अंशु के पास से 9 एमएम की पिस्टल और अन्य सामान मिले थे।
सीतापुर निवासी अंशु दीक्षित लखनऊ के सीएमओ हत्याकांड में भी आरोपी रह चुका है। वह जीआरपी की कस्टडी से वर्ष 2013 में उस समय भाग गया था। जब उसे पेशी पर ले जाया जा रहा था।
डीआईजी जेल पीएन पांडेय ने भी बताया कि वर्चस्व की इस भिड़ंत में दोनों तरफ से कई राउंड फायरिंग भी हुई है। अंशुल दीक्षित नाम के कैदी ने फायरिंग कर मेराजुद्दीन और मुकीम उर्फ काला को मार गिराया। इसके बाद इसके बाद भारी पुलिस बल ने जेल के अंदर ही अंशुल का एनकाउंटर कर दिया।
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