तालिबान से ज्यादा हमारे यहां क्रूरता, UP के जो हालात हैं, यहां से भाग जाने को जी चाहता है: मुनव्वर राणा

अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद उत्तर प्रदेश में बयानबाजी का दौर जारी है। संभल से सपा नेता शफीकुर्रहमान, ऑल इंडिया पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रवक्त मौलाना सज्जाद नोमानी और पीस पार्टी के प्रवक्ता शादाब चौहान, देवबंद में कांग्रेस के पूर्व मंत्री मसूद मदनी के बाद मशहूर शायर मुनव्वर राणा (munawwar Rana) की तालिबान से मोहब्बत उबाल मार रही है। राणा ने तालिबान को आतंकी संगठन मानने से इंकार करते हुए कहा कि तालिबान का जो रवैया है, उन्हें आतंकवादी नहीं कह सकते हैं। हां उन्हें अग्रेसिव कहा जा सकता है। इस दौरान उन्होंने यह भी कहा कि तालिबान से ज्यादा क्रूरता हमारे यहां है। यूपी के जो हालात हैं, यहां से भाग जाने को जी चाहता है।


तालिबान ने आतंकी नेटवर्क पर मुनव्वर राणा ने कहा कि आतंकी तो आप कह रहे हैं ना। आप खुल्लमखुल्ला यह कहते हैं कि हर मुसलमान आतंकी नहीं होता, लेकिन हर आतंकी मुसलमान होता है। आपके यहां तो आतंकी की परिभाषा निकाली ही नहीं गई है कि कौन आतंकी है, कौन आतंकी नहीं है। राणा ने कहा कि तालिबान आतंकी संगठन हो सकता है, लेकिन वह अपने मुल्क के लिए लड़ रहे हैं तो आप उन्हें आतंकी कैसे कह सकते हैं।


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मुनव्वर राणा ने आगे कहा कि तालिबान अपने मुल्क के लिए लड़ रहे हैं तो आप उन्हें आतंकी कैसे कह सकते हैं? जो लोग अमेरिका और अशरफ गनी के साथ ऐश कर रहे थे वहीं भाग रहे हैं आम अफगानी क्यों भागेगा। इस दौरान राणा ने कहा कि यूपी के जो हालात हैं, यहां से भाग जाने को जी चाहता है। हमसे हिन्दू भी नाराज रहते हैं, मुसलमान भी नाराज रहते हैं। हम हिन्दुस्तानी प्रोपेगेंडा का जल्दी शिकार होते हैं। अफगानिस्तान ने हिन्दुस्तान को कभी कोई नुकसान नहीं पहुंचाया लेकिन अफगानिस्तान, हिन्दुस्तान का सबसे अच्छा दोस्त रहा है।


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तालिबान का बचाव करते हुए राणा ने कहा कि हिंदुस्तान को कोई नुकसान नहीं पहुंचेगा। इमरान खान अफगानिस्तान पर इसलिए डोरे डाल रहा है क्योंकि उसे मालूम है कि अफगानिस्तान हिंदुस्तान का दोस्त है। उन्होंने कहा कि तालिबान ने सही किया, अपनी जमीन पर कब्जा तो किसी भी तरह से किया जा सकता है। इस दौरान जब राणा से सवाल किया गया कि तालिबान तो हथियारों के दम पर कब्जा कर रहा है, इस पर उन्होंने कहा कि इसमें बहुत दूर तक जाना पड़ेगा, इसको हिंदुस्तानी होकर नहीं सोच सकते हैं। इसको उस हिंदुस्तानी बनकर सोचना चाहिए जो अंग्रेजों की गुलामी में था, जिन्होंने आजाद कराया था। तो उन्होंने भी अपने मुल्क को आजाद करा लिया है तो क्या दिक्कत है। इसमें हिंदुस्तान को परेशान होने की जरूरत क्या है।


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