आज दो जुलाई है, आज ही के दिन पिछली साल कानपुर के बिकरू गांव में विकास दुबे और उसके साथियों ने आठ पुलिसकर्मियों की हत्या कर दी है। उस रात की यादें आज भी वहां के लोगों और शहीद पुलिसकर्मियों के परिजनों के दिलों में ताजा हैं। भले ही दीवारों पर गोलियों के निशान मिटा दिए गए पर लोहे के दरवाजे पर गोलियों के छेद आज भी क्रूरता की गवाही दे रहे हैं। जिस जगह पर मुठभेड़ हुई थी, लोग आज भी उधर जाने से कतराते हैं। जिस विकास दुबे के घर के आस पास हमेशा चहल कदमी रहती है, आज लोग उधर देखना भी पसंद नहीं करते।
क्या है बिकरू कांड
जानकारी के मुताबिक, दो जुलाई 2020 की रात को चौबेपुर के जादेपुरधस्सा गांव निवासी राहुल तिवारी ने विकास दुबे व उसके साथियों पर हत्या के प्रयास का मुकदमा दर्ज कराया था। एफआईआर दर्ज करने के बाद उसी रात करीब साढ़े बारह बजे तत्कालीन सीओ बिल्हौर देवेंद्र कुमार मिश्रा के नेतृत्व में बिकरू गांव में दबिश दी गई। यहां पर पहले से ही विकास दुबे और उसके गुर्गे घात लगाए बैठे थे। घर पर पुलिस को रोकने के लिए जेसीबी लगाई थी। पुलिस के पहुंचते ही बदमाशों ने उनपर छतों सेे गोलियां बरसानी शुरू कर दी थीं। चंद मिनटों में सीओ देवेंद्र मिश्रा समेत आठ पुलिसकर्मियों की हत्या कर ये सभी फरार हो गए थे। इन पुलिसकर्मियों में सीओ बिल्हौर देवेंद्र मिश्रा, एसओ शिवराजपुर महेश यादव, चौकी प्रभारी मंधना अनूप कुमार, सब इंस्पेक्टर नेबू लाल, सिपाही जितेंद्र पाल, सिपाही सुल्तान सिंह, सिपाही बबलू कुमार, सिपाही राहुल शामिल थे।
इस वारदात के बाद महकमे के साथ साथ पूरे प्रदेश में हड़कम्प मच गया था। तीन जुलाई की सुबह सबसे पहले पुलिस ने विकास के रिश्तेदार प्रेम कुमार पांडेय और अतुल दुबे को एनकाउंटर में मार गिराया। यहीं से एनकाउंटर पर एनकाउंटर शुरू हुए। इसके बाद हमीरपुर में अमर दुबे को ढेर किया। इटावा में प्रवीण दुबे मारा गया। पुलिस कस्टडी से भागने पर पनकी में प्रभात मिश्रा उर्फ कार्तिकेय मिश्रा ढेर कर दिया गया।
विकास दुबे का नौ जुलाई की सुबह उज्जैन में नाटकीय ढंग से सरेंडर हुआ था। एसटीएफ की टीम जब उसको कानपुर लेकर आ रही थी तो सचेंडी थाना क्षेत्र में हुए एनकाउंटर में विकास मार दिया गया था। एसटीएफ ने दावा किया था कि गाड़ी पलटने की वजह से विकास पिस्टल लूटकर भागा और गोली चलाईं। जवाबी कार्रवाई में वो ढेर हो गया। हालांकि इन एनकाउंटर के बाद कई लोगों ने यूपी पुलिस पर सवाल उठाए लेकिन जांच में सभी सही पाए गए।
अब तक इतने गए जेल
अभी तक बिकरू निवासी श्यामू बाजपेई, छोटू शुक्ला उर्फ अखिलेश, शाशिकान्त पंडित उर्फ सोनू, रामू बाजपेयी, दयाशंकर अग्निहोत्री, गोपाल सैनी, उमाकांत उर्फ गुड्डन, बाल गोविंद, शिवम दुबे, धर्मेंद्र उर्फ हीरू, संजय की पत्नी क्षमा, अमर दुबे की पत्नी, दयाशंकर की पत्नी रेखा, संजय दुबे, उर्फ संजू, सुरेश वर्मा, धीरज उर्फ धीरू, शांति देवी, रमेश चंद्र, मनीष उर्फ वीर, शिवम उर्फ दलाल, नन्हे यादव, बबलू, राजेंद्र मिश्रा, विपुल दुबे, उमाशंकर। कांशीराम निवादा निवासी जहान यादव, सुज्जा निवादा निवासी राम सिंह, विष्णु पाल, वसेन निवासी शिव तिवारी, कंजती निवासी विमल प्रकाश, कढ़वा निवासी सुशील कुमार तिवारी, थाना शिवली के ग्राम कुखवा निवासी गुड्डन उर्फ अरविंद त्रिवेदी, नजीराबाद निवासी जयकांत वाजपेयी, आर्यनगर निवासी प्रशांत शुक्ला उर्फ डब्ब्लू, हापुड़़ निवासी कृष्ण कुमार शर्मा, मैथा निवासी राहुल पाल, कौशांबी के महेबा घाट निवासी विनय तिवारी को जेल भेजा जा चुका है।
पुलिसकर्मी भी बनाए गए दोषी
आरोपितों के अलावा बड़े पैमाने पर पुलिस कर्मी भी इस मामले दोषी बनाए गए थे। जिसमें आठ को बड़ा दंड, छह को लघु दंड और 23 को विभागीय जांच का दोषी माना गया था। अलग-अलग अधिकारियों से इन सभी पुलिसकर्मियों की जांच कराई गई। सभी में प्रारम्भिक जांच लगभग पूरी हो चुकी है। एसआईटी की जांच में 11 सीओ को भी लापरवाही का दोषी माना गया था। उनके भी बयान दर्ज हो चुके हैं और रिपोर्ट लगभग तैयार है, जो अग्रिम कार्रवाई के लिए भेजी जानी है। पूर्व डीआईजी अनंत देव तिवारी को भी दोषी माना गया।
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