UP: प्राथमिक शिक्षक संघ ने लिस्ट जारी कर किया दावा- पंचायत चुनाव ड्यूटी के दौरान कोरोना से 1621 शिक्षा कर्मचारियों की मौत, मांगा 1 करोड़ का मुआवजा

उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव की ड्यूटी में लगे कर्मचारियों की कोरोना संक्रमण से मौत का मामला अभी शांत नहीं हुआ है। उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षक संघ (UP Primary Teachers Association) ने दावा किया है कि पंचायत चुनाव में ड्यूटी के दौरान कोरोना संक्रमित होने की वजह से 1621से ज्यादा शिक्षकों, शिक्षा मित्रों, अनुदेशकों और बेसिक शिक्षा विभाग के कर्मचारियों की मौत हो हुई है। ऐसे में अब शिक्षक संघ ने मृतकों के परिजनों को एक करोड़ रुपए मुआवजा व परिवार के एक सदस्य को नौकरी देने की मांग की है।


शिक्षक संघ के अध्यक्ष दिनेश चंद्र शर्मा ने इस संबंध में सीएम योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखा है, जिसमें दावा किया गया है कि पंचायत चुनाव की ड्यूटी में लगे 1621 सरकारी कर्मचारियों की मौत हुई है। उन्होंने इन सभी 1621 सरकारी स्कूल स्टाफ का नाम, स्कूल, जिला, मोबाइल नंबर और मृत्यु की तारीख का ब्योरा भेजा है।


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लिस्ट के मुताबिक, 1621 कर्मयारियों में 1332 शिक्षक, 209 शिक्षा मित्र, 25 अनुदेशक, 5 बीईओ, 15 क्लर्क और अन्य कर्मचारी शामिल थे। उन्होंने दावा किया कि 26 अप्रैल तक तीसरे चरण के चुनाव तक प्राथमिक शिक्षा विभाग के 706 कर्मचारियों के कोरोना से मौत हो चुकी थी। मतगणना के दो हफ्ते बाद ये संख्या 1600 के पार जा चुकी थी।


16 मई को शिक्षक संघ ने मृतक कर्मचारियों की लिस्ट भेजने के साथ ही सरकार के समक्ष 8 मांगें रखी हैं। शिक्षकों की मांग है कि पंचायत चुनाव की ड्यूटी करने के बाद कोविड 19 के संक्रमण के कारण मरने वाले शिक्षकों को 2005 से पहले लागू पुरानी पेंशन दी जाए। इसके अलावा एक करोड़ मुआवजा, इनके परिवार में जो आश्रित डीएलएड या बीएड की योग्यता रखता है उसे टीईटी से छूट देते हुए शिक्षक के पद पर तुरंत नियुक्ति दी जाए। साथ ही बाकियों को लिपिक के पद पर नियुक्त दी जाए।


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यही नहीं शिक्षक संघ की मांग है कि मृतकों को कोरोना वॉरियर घोषित किया जाए और इनकी ग्रेच्युटी की धनराशि भी दी जाए। वहीं, कोरोना संक्रमित शिक्षकों के इलाज में खर्च हुई धनराशि की प्रतिपूर्ति भी सरकार करे। संघ ने चुनाव में अनुपस्थित शिक्षकों-कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई भी खत्म करने का अनुरोध किया है और कहा है कि बेसिक शिक्षकों से आरटीई एक्ट के तहत शिक्षण के अलावा और कोई भी काम नहीं लिया जाए।


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