उत्तराखंड (Uttarakhand) के पिथौरागढ़ (Pithoragarh) में एक नाबालिग लड़की को बेचने के मामले में मां और बुआ सहित 4 दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है। इन्होंने मिलकर नाबालिग लड़की (Minor Girl) का 20,000 रुपए में सौदा किया था, जिसके बाद उसे ले जाकर देह व्यापार में धकेलने की साजिश रची जा रही थी। घटना 2015 में पिथौरागढ़ के तिलढुकरी में सामने आई थी। इस मामले में एक अन्य दोषी की पहले ही मौत हो चकी है।
यूपी के अकरम, जमील और तस्लीम की हुई थी गिरफ्तारी
जानकारी के अनुसार, उत्तराखंड पुलिस, एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग टीम और कुछ जागरूक लोगों ने नाबालिग का सौदा कर रहे इन लोगों को पकड़ा था। नाबालिग की मां विमला कार्की डीडीटीह की रहने वाली है, वहीं आरोपितों में शामिल मुंहबोली बुआ का नाम गंगा है। उत्तर प्रदेश के रहने वाले अकरम खान, जमील अहमद और तस्लीम को भी गिरफ्तार किया गया था। अकरम खान शादी के बहाने नाबालिग को यूपी ले जाकर उसे वेश्यावृत्ति में धकेलने की तैयारी में लगा हुआ था।
पुलिस ने इन्हें नाबालिग लड़की के साथ पकड़ा था। कोर्ट में तभी से चल रहे इस मामले में सोमवार को फैसला आया है। पीड़िता की तरफ से पैरवी करते हुए जिला शासकीय अधिवक्ता प्रमोद पंत और अधिवक्ता प्रेम सिंह भंडारी ने पुलिस का पक्ष रखा। विशेष सत्र न्यायाधीश डॉक्टर ज्ञानेंद्र कुमार शर्मा ने चारों दोषियों को आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई। साथ ही दोषियों में से प्रत्येक पर 25-25 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया गया है। आरोपी अकरम खान की पहले ही मौत हो चुकी है।
मुस्लिम युवक से जबरन कोर्ट मैरिज कराने की हुई थी कोशिश
इस घटना के 2 दोषी अकरम और जमील उत्तर प्रदेश के बरेली स्थित बहेड़ी के रहने वाले थे। नाबालिग की मुंहबोली बुआ नेपाल के दार्चुला में रहती थी। पुलिस ने पांचों के खिलाफ आईपीसी और अनैतिक देह व्यापार निवारण अधिनिमय की कई धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया था। जमील अहमद और तसलीम खान पर अलग से सात साल के कारावास और 15-14 हजार रुपए जुर्माने की सजा भी सुनाई गई है।
पीड़िता की मुंहबोली बुआ गंगा देवी इस मामले में दलाल की भूमिका में थी, जिसे नाबालिग का सौदा तय कराने के लिए अलग से 5000 रुपए मिलने थे। नाबालिग को जबरन कोर्ट मैरिज के लिए न्यायालय तक ले जाया गया था, लेकिन जन्म प्रमाण पत्र नहीं होने की वजह से ये शादी नहीं हो पाई। इसके बाद पुलिस ने पांचों आरोपियों को गिरफ्तार किया था।
पीड़िता हिंदू समुदाय की है, जबकि उसकी शादी जबरन मुस्लिम युवक से कराई जा रही थी। कोर्ट ने राज्य सरकार और बाल कल्याण विभाग को पीड़िता के भरण-पोषण की व्यवस्था करने के लिए निर्देशित किया है। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की अगली बैठक में इस मामले को रखा जाएगा, ताकि नाबालिग के पुनर्वास व शिक्षा-दीक्षा की व्यवस्था की जा सके।
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