ज्ञानवापी मस्जिद के अंदर वीडियोग्राफी का मुस्लिम महिलाओं ने किया समर्थन, बोलीं- मंदिर तोड़कर बनाया गया मस्जिद

ज्ञानवापी मस्जिद (Gyanvapi Mosque और श्रृंगार गौरी मंदिर की वीडियो ग्राफी मामले में गुरुवार को वाराणसी सिविल कोर्ट ने फैसला सुना दिया। कोर्ट ने अपने फैसले में साफ कर दिया कि न तो कोर्ट कमिश्नर बदले जाएंगे और न ही वीडियोग्राफी पर रोक लगेगी। अदालत ने मुस्लिम पक्ष की कोर्ट कमिश्नर को हटाने की मांग को खारिज कर दिया है। साथ ही कोर्ट कमिश्नर के साथ 2 नए वकील भी जोड़े हैं। कोर्ट के इस फैसले के बाद मुस्लिम फाउंडेशन की महिलाओं का बयान खासा चर्चा का विषय बना हुआ है, जिन्होंने ज्ञानवापी मस्जिद के अंदर वीडियोग्राफी के विरोध के बीच इसका समर्थन कर दिया है।

मुस्लिम फाउंडेशन ने मस्जिद को बताया मंदिर

वाराणसी के लमही स्थित मुस्लिम फाउंडेशन की महिलाओं ने वीडियोग्राफी का समर्थन किया है। उन्होंने कहा है कि ज्ञानवापी मस्जिद में होने वाले सर्वे से सच सामने आ जायेगा। इसके साथ ही उन्होंने ज्ञानवापी मस्जिद को मंदिर बताया और साफ किया कि ये इतिहास में दर्ज है कि औरंगजेब ने मंदिर तोड़कर मस्जिद बनवाया था। ऐसे में इस विडियोग्राफी से सच सामने आ जाएगा। इन मुस्लिम महिलाओं ने इसके साथ ही मुस्लिम भाइयों से अपील की है कि वो सर्वे का साथ दें।

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बाबर ने मंदिर तोड़कर बनवाई थी मस्जिद

नाजनीन अंसारी, सदर मुस्लिम महिला फाउंडेशन ने कहा कि यह बात तो सभी को पता है कि मंदिर को तोड़कर बाबर ने वहां मस्जिद बनवाई थी। अब सर्वे से यह सच सामने आ जाएगा। मुसलमानों को भी बड़ा दिल दिखाना चाहिए और सर्वे का साथ देना चाहिए। वहीं एक अन्य मुस्लिम महिला नाजिया तरन्नुम ने भी कोर्ट के आदेश का समर्थन किया और कहा कि इससे सच सामने आएगा।

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मुस्लिम पक्ष ने किया था विरोध

सिविल कोर्ट के आदेश के बाद हिंदू पक्ष के लोगों में ख़ुशी का माहौल देखने को मिला। वकीलों के साथ पक्षकारों ने एक दूसरे को लड्डू खिलाकर जश्न मनाया और कहा कि 17 मई को जब सर्वे रिपोर्ट कोर्ट में पेश होगी तो दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा। दरअसल इस मामले में कोर्ट ने 6 से 10 मई के बीच सर्वे और वीडियोग्राफी का आदेश दिया था, लेकिन मुस्लिम पक्ष की तरफ से इसका विरोध करते हुए सर्वे नहीं करने दिया गया था। मुस्लिम पक्ष ने अधिवक्ता अजय मिश्रा के ऊपर पक्षपात का आरोप लगाते हुए उन्हें बदलने की मांग की थी।

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